कैलाश सिंह विकास वाराणसी
वाराणसी। अखिल भारतीय सनातन समिति, जैतपुरा द्वारा मां बालेश्वर देवी के प्रांगण में आयोजित संगीतमय रामकथा के सातवें दिन आज प्रवचन में पातालपुरी पीठाधीश्वर पूज्य बालक दास जी महाराज मानस मराल ने कहा कि राजा को दिए गए दो वरदान में पहला भरत को राजगद्दी एवं राम को चौदह वर्ष का वनवास मांग लो, इसी में तुम्हारा व भरत की भलाई होगी। यह बात कैकई को काल के बस बहुत ही अच्छी लगी। उसने ऐसा ही किया यह बात जब राजा को पता लगा तो वह बहुत ही दुखी हुए, परंतु रानी को दशरथ जी की हर बात अप्रिय लगने लगी। तब उन्होंने राम को चौदह वर्ष का वनवास व भरत को राजगद्दी देने की बात बड़े ही दुखी मन से आदेश दिया। राजा के इस आदेश का राज दरबार व नगर निवासी बहुत ही नाखुश हो गए। अंत में राम के वनवास जाने के बाद राजा स्वर्ग सिधार गए, तब भरत जी ननिहाल से आकर तीनों रानियों व नगर निवासियों के साथ चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत पर प्रभु श्री राम को मनाने निकल पड़े। परन्तु शास्त्र के अनुसार बहुत प्रकार से राम के समझाने के बाद भरत जी प्रभु श्री राम की खड़ाऊ लेकर अयोध्या वापस आ गए।
इस अवसर पर काशी के मानस वक्ता पंडित शिवाकांत मिश्र ने बड़े ही भावपूर्ण ढंग से मानस की चर्चा की तथा रामकथा के इस आयोजन से जहां हिंदू संस्कृति खुलेगी, वहीं धर्म का प्रचार - प्रसार अनवरत होते रहना चाहिए।व्यासपीठ की आरती भैयालाल जायसवाल, डॉ अजय कुमार, प्रमोद यादव मुन्ना, डॉ पुष्पा जायसवाल, मुन्नू लाल, छेदीलाल, राजेंद्र कुमार, सुजीत कुमार, जयशंकर गुप्ता, किशोर सेठ, अभय स्वाभिमानी, दिव्यांश गुप्ता आदि ने की।
मंच का संचालन प्रधान सचिव राजेश सेठ ने किया।
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