Test Ad
देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता-  रवि किशन

देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता- रवि किशन

 

कृपा शंकर चौधरी 

गोरखपुर। सांसद रवि किशन शुक्ला ने रविवार को एनेक्सी भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में विभाजन से विभिषिका  दिवस पर प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि 

14 अगस्त भारतीय इतिहास काला दिवस था।

भारत के इतिहास में यह एक ऐसा दुर्भाग्य साली दिन था जिस दिन भारत के भूगोल समाज, संस्कृति सभी का बटवारा हो गया है।

नफरत और हिंसा ने लाखों लोगों को अपने घर से विस्थापित किया और लाखों की संख्या में जाने चली गई।

अखंड भारत के आजादी के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख को आंसुओं से लिखकर रक्तरंजित कर दी गई। देश का विभाजन हो गया।

भारत के विभाजन की पीड़ा को भुलाया नहीं जा सकता है। यह दिन भारत के लोगों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। हर भारतीयों को इस दिन याद रखना चाहिए।

हम भारतीयों को इस दिन को याद रखने की जरूरत है क्योंकि हमारी लाखों बहने और भाई विस्थापित हो गए थे और कई लोगों ने बेवजह नफरत के कारण अपनी जान गवा दी थी उन्हें विभाजन के दौरान यातना पूर्ण व्यवहार और हिंसा का सामना करना पड़ा था।

विभाजन का दर्द और उस दौरान हुई हिंसा देश की स्मृति में आज भी गहराइ से अंकित है

30 दिसंबर 1906को घोर सांप्रदायिक संगठन मुस्लिम लीग का गठन हुआ मुस्लिम लीग ने अपने जन्म से ही  पृथक वादी नीति को अपनाया तथा भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं का विरोध किया।

1939 में मुस्लिम लीग ने देश में व्यापक दंगे करवाए लाहौर में 1940 में मुस्लिम लीग का सम्मेलन हुआ जिसमें उन्होंने दो राष्ट्र के सिद्धांत का प्रतिपादन किया मुस्लिम लीग ने साफ तौर पर यह घोषणा कर दी की वे साथ-साथ रहने की अपेक्षा अलग देश चाहते हैं। मुस्लिम लीग द्वारा डायरेक्ट एक्शन डे के  तहत देश में दंगे और उन्माद फैलाया गया और देश में हत्या लूट आगजनी वह दुराचार का दौर शुरू हो गया।

अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति कारगर साबित हुई और भारत का विभाजन हो गया।

अखंड हिंदुस्तान की खंडित स्वतंत्रता जब देश की दहलीज पर खड़ी थी उसी समय पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर प्रचंड नरसंहार चल रहा था।

लाहौर से पठानकोट से और बंगाल से लाखों संपन्न परिवार शरणार्थी के रूप में इस खंडित भारत के अंदर धीरे-धीरे आगे बढ़ते जा रहे थे।

उन्हें अपने प्राणों का भय था जीवन भर कमाई और चल अचल संपत्ति को पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान में छोड़कर भागने की मरमातक पीड़ा थी। भारत में शरणार्थी बनने की विफलता थी। भूख,प्यास थके हुए शरीर बीवी बच्चों के भीषण कष्ट इत्यादि सहन करने की त्रासदी थी लेकिन उधर दिल्ली में राजनीति अपनी गति से जारी थी।

पंडित नेहरू ने मात्र प्रधानमंत्री की कुर्सी पाने के लिए न केवल देश के टुकड़े करवाए बल्कि लाखों लोगों के खून से भारत भूमि को नहला दिया। घृणा का जो बी उस समय बोया गया उन्हें पूर्णता नष्ट करने के लिए आने वाली कई पीढ़ियों को मिलकर प्रयास करना होगा।

आज जो कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की ध्वजवाहक बनने का ढोंग करती है उसी कांग्रेस ने कई सांप्रदायिक कानून को पारित करवाने में अंग्रेजों की सहायता की थी।

भारत के वर्तमान और भावी पीढ़ियों को देश के विभाजन के दौरान लाखों भाई बहनों द्वारा झेली गई यातना और वेदना को याद दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका  स्मृति दिवस के रूप में के रूप में मनाया जाएगा।

भारतीय जनता पार्टी विभाजन विभीषिका  स्मृति दिवस पर 14 अगस्त को प्रदेश के सभी संगठनात्मक 98 जनपदों में देश के विभाजन में विस्थापित तथा शहीद हुए देशवासियों की स्मृति में मौन जुलूस निकालेगी।

भारतीय जनता पार्टी सभी संगठनात्मक 98 जनपदों में विभाजन की विभीषिका विषय पर संगोष्ठी आयोजित कर देश के विभाजन में हुई कूरता अमानवीयता नृशंसता और देश की विभाजन के कारण पर चर्चा होगी।

पार्टी जिला और महानगर स्तर पर आयोजित प्रदर्शनियों में देश के विभाजन की त्रासदी को चित्रों अभिलेख तथा चलचित्रों के माध्यम से नागरिकों के बीच प्रदर्शित करेगी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस द्वारा विभाजन स्वीकार करना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। भारत विभाजन के परिणाम स्वरूप लाखों लोग मारे गए डेढ़ करोड़ से अधिक लोग बेघर हुए। एक लाख से अधिक महिलाओं के साथ अनाचार हुआ।


अनेकानेक धार्मिक और जातीय दंगे करवाने के बाद भी वे आज तक छाती ठोक कर अपने आप को धर्मनिरपेक्ष ही कहते हैं समाज में जितनी अधिक घृणा कांग्रेस ने फैलाई जितनी विभाजक रेखाएं उसने खींची उसका एक प्रतिशत अंग्रेजों ने भी नहीं किया होगा।


अंग्रेजों ने सदैव फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई थी जिसका अनुसरण कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उनके मानस पुत्र आज भी कर रहे हैं उन्होंने भारत के नागरिकों को अलग-अलग समूहों में विभाजित कर रखा था।

 डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी पुस्तक थाट्स आन पाकिस्तान में नेहरू और तत्कालीन कांग्रेस की रवैया की आलोचना की है।


कांग्रेस द्वारा निरंतर मुस्लिम लीग को तुष्ट करने की अपनाई जाने वाली नीति को डॉ भीमराव अम्बेडकर ने कभी पसंद नहीं किया।

विभाजन को एक सबक के रूप में लेना चाहिए ताकि भारत अतीत की गलतियों को न दोहराएं और देश तुष्टिकरण का रास्ता न अपनाएं , खासकर जब हमारे पड़ोस में

अस्थिरता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।

देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता-  रवि किशन
Admin
Share: | | |
Comments
Leave a comment

Advertisement

Test Sidebar Ad
Search

Recent News

क्या है तहकीकात डिजिटल मीडिया

तहकीकात डिजिटल मीडिया को भारत के ग्रामीण एवं अन्य पिछड़े क्षेत्रों में समाज के अंतिम पंक्ति में जीवन यापन कर रहे लोगों को एक मंच प्रदान करने के लिए निर्माण किया गया है ,जिसके माध्यम से समाज के शोषित ,वंचित ,गरीब,पिछड़े लोगों के साथ किसान ,व्यापारी ,प्रतिनिधि ,प्रतिभावान व्यक्तियों एवं विदेश में रह रहे लोगों को ग्राम पंचायत की कालम के माध्यम से एक साथ जोड़कर उन्हें एक विश्वसनीय मंच प्रदान किया जायेगा एवं उनकी आवाज को बुलंद किया जायेगा।

Videos

Get In Touch

Call Us:
9454014312

Email ID:
tahkikatnews.in@gmail.com

Follow Us
Follow Us on Twitter
Follow Us on Facebook

© Tehkikaat News 2017. All Rights Reserved. Tehkikaat Digital Media Pvt. Ltd. Designed By: LNL Soft Pvt. LTD.