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सोशल मीडिया का उद्देश्यपरक एवं मूल्यपरक प्रयोग से भारतीय सास्कृतिक अस्मिता का जतन होगा: प्रो. मकवाना

सोशल मीडिया का उद्देश्यपरक एवं मूल्यपरक प्रयोग से भारतीय सास्कृतिक अस्मिता का जतन होगा: प्रो. मकवाना


कैलाश सिंह विकास वाराणसी

वाराणसी। महाराज बलवंत सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय गंगापु -वाराणसी के समाजशास्त्र विभाग और आइ.क्यू.ए.सी. समिति के संयुक्त तत्वाधान में "युवा पीढ़ी पर सोशल मीडिया का प्रभाव" विषय पर एक दिवसीय ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका प्रारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. पुरुषोत्तम सिंह द्वारा प्रमुख वक्ताओं के स्वागत से हुआ। कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक कुमार कश्यप ने किया। उद्घाटन उद्बोधन में प्रो. रेखा (विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ -वाराणसी) ने कहा कि सोशल मीडिया ने युवा पीढ़ी के व्यवहार, आचरण, अभिव्यक्ति तथा सोचने-समझने की क्षमता  को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। जिसके फलस्वरूप न केवल युवा पीढ़ी को शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है अपितु वे अपने आभासी दुनिया को ही वास्तविक दुनिया समझने लगी है। जिसके लिए यह आवश्यक है कि समाज और परिवार दोनों युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव से अवगत कराएं तथा उन्हें सोशल मीडिया के सदुपयोग हेतु प्रेरित करें। उद्बोधन के इसी क्रम में डॉ. कृष्ण मुरारी यादव (सहायक प्राध्यापक, विधि विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने सोशल मीडिया के प्रभावों को राजनीतिक, विधिक, स्वास्थ्य एवं सामाजिक परिप्रेक्ष्य में समझाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का प्रभाव किसी देश के शांति और सुरक्षा पर भी पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर प्रदर्शित विभिन्न सांप्रदायिक और हिंसात्मक गतिविधियां उग्रवाद के चक्र को बनाती हैं जिसका प्रभाव एक चक्र के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर और इसी क्रम में आगे बढ़ता रहता है। अतः सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव से निपटने हेतु ना केवल कुछ महत्वपूर्ण कानून बनाए जाने चाहिए, अपितु छोटे बच्चों के पाठ्यक्रम में भी सोशल मीडिया के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों को सम्मिलित करना चाहिए। जिससे बच्चे इसके प्रभावों से अवगत हो सकें। प्रो. संजय कुमार पांडे (विभागाध्यक्ष- समाजशास्त्र विभाग, लाल बहादुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मुगलसराय- चंदौली) ने अपने उद्बोधन में बताया कि सोशल मीडिया ने एक ऐसे मंच का निर्माण किया है जहां दूर दराज के स्थानों पर स्थित व्यक्ति समान विचारों को प्रदर्शित करने के लिए एकत्रित हो सकते हैं और इन विचारों को तेजी से अन्य लोगों तक पहुंचाने हेतु पुनः सोशल मीडिया का प्रयोग कर सकते हैं। क्योंकि सोशल मीडिया का प्रभाव समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पड़ता है अतः इसके प्रयोग में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। अतः ना केवल समाज और सरकार का यह उत्तरदायित्व है कि सोशल मीडिया पर अनुचित सामग्रियों के प्रकाशन पर रोक लगाएं अपितु सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संचालकों का भी यह दायित्व है कि वह अनुचित सामग्रियों को अपने प्लेटफार्म पर प्रकाशित होने से रोकें। प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह (संकाय प्रमुख -सामाजिक विज्ञान संकाय, केंद्रीय विश्वविद्यालय बोधगया) ने बताया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के द्वारा सोशल मीडिया का प्रयोग अधिक हो रहा है तथा भारत में लोग 1 सप्ताह में लगभग 17 घंटे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। वह कहते हैं कि निश्चित रूप से सोशल मीडिया ने लोगों के बीच संचार को बढ़ावा दिया है, शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञान एकत्रित करना आसान हो गया है, लोगों मैं सृजनात्मकता बड़ी है तथा किसी समाज के मुद्दों को व्यापक मंच पर प्रस्तुत करने में आसानी हुई है। लेकिन सोशल मीडिया के अत्यधिक प्रयोग ने लोगों के मानसिक तनाव को भी बढ़ाया है। विभिन्न अध्ययनों में यह पाया गया है कि मादक द्रव्यों के प्रयोग से जिस प्रकार का बदला व्यक्ति के मानसिक स्थिति में  होता है, उसी प्रकार के बदलाव सोशल मीडिया के अत्यधिक प्रयोग से व्यक्ति के मस्तिष्क में हो रहा है। अतः हमें यह समझना चाहिए कि सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग हमारे जीवन का लक्ष्य नहीं है, यह हमारे जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति का एक माध्यम है। डॉ. अंजू बेनीवाल (समाजशास्त्र विभाग- उदयपुर राजस्थान) ने बताया कि सोशल मीडिया ने निश्चित रूप से दूरदराज बैठे व्यक्तियों से संचार स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन परिवार में ही इसने विभिन्न व्यक्तियों के बीच संचार को कम भी किया है। सोशल मीडिया युवाओं में नकली पहचान निर्मित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है तथा हमारे विचारों को हैक कर रहा है। यहां हम अपने विचारों के स्थान पर समाज के अन्य लोगों के विचारों से बिना सोचे समझे जल्दी प्रभावित हो रहे हैं। इस बात की परवाह किए बिना किसी भी सामग्री को दूसरों तक पहुंचाते हैं कि, इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? अतः सरकार द्वारा कुछ सेफगार्ड एवं डेटा सुरक्षा संबंधित नियमों का निर्माण करना चाहिए, जिससे संवेदनशील सामग्रियों का संचार सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित किया जा सके।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. रमेश एच. मकवाना (विभागाध्यक्ष-समाजशास्त्र विभाग, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, गुजरात) ने कहा कि सोशल मीडिया का उद्देश्यपरक एवं मूल्यपरक प्रयोग भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित कर सकता है। सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभावों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने लोगों के बीच दूरियों को कम किया है, ज्ञान तक सबकी पहुंच को आसान बनाया है, व्यापार जगत को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा युवाओं के व्यक्तित्व निर्माण में भी इसकी महती भूमिका है। लेकिन दूसरी ओर यौन और हिंसा संबंधी सामग्रियों कि सोशल मीडिया पर उपलब्धता एवं साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या इस ओर इशारा कर रही है कि आज हर माता-पिता को अपने बच्चे द्वारा प्रयुक्त सोशल मीडिया सामग्रियों की निगरानी करनी चाहिए तथा स्कूल और कॉलेज में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए जिससे युवाओं में सोशल मीडिया के प्रति जागरूकता बढ़े तथा वे सोशल मीडिया के सार्थक प्रयोग को समझ सकें। कार्यक्रम के अंत में श्री दुर्गेश कुमार पांडे (सहायक प्राध्यापक- समाजशास्त्र विभाग, महाराज बलवंत सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गंगापुर- वाराणसी) ने सभी अतिथि वक्ताओं एवं प्रतिभागियों को कार्यक्रम में भाग लेने एवं अपने पत्र प्रस्तुत करने हेतु धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के संपादन में श्री महेंद्र कुमार एवं श्री उमेश प्रसाद राय ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में प्रो. शैलेंद्र कुमार सिंह, प्रो. मंजू मिश्रा, डॉ. अर्चना सिंह, डॉ. आशा सिंह, डॉ. रविंद्र श्रीवास्तव, डॉ. भूपेंद्र कुमार यादव, डॉ. अभिषेक अग्निहोत्री, श्री अंगद प्रसाद यादव, श्री उमेश कुमार, श्रीमती प्रियंका देवी, श्रीमती पूनम देवी एवं डॉ. सत्यप्रकाश सिंह आदि प्राध्यापक एवं प्राध्यापिकाओं के अतिरिक्त अनेक विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शोध छात्रों तथा छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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तहकीकात डिजिटल मीडिया को भारत के ग्रामीण एवं अन्य पिछड़े क्षेत्रों में समाज के अंतिम पंक्ति में जीवन यापन कर रहे लोगों को एक मंच प्रदान करने के लिए निर्माण किया गया है ,जिसके माध्यम से समाज के शोषित ,वंचित ,गरीब,पिछड़े लोगों के साथ किसान ,व्यापारी ,प्रतिनिधि ,प्रतिभावान व्यक्तियों एवं विदेश में रह रहे लोगों को ग्राम पंचायत की कालम के माध्यम से एक साथ जोड़कर उन्हें एक विश्वसनीय मंच प्रदान किया जायेगा एवं उनकी आवाज को बुलंद किया जायेगा।

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