रिपोर्ट- उपेंद्र कुमार पांडे
आजमगढ़। शिबली नेशनल महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में सम्मान समारोह सह विदाई समारोह गुरूवार को आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ नूर अफ्सा एवं जया फातिमा के स्वागत गीत से हुआ। स्वागत भाषण देते हुए सहायक प्रोफेसर डॉ विनोद कुमार सिंह ने कहा कि 2015 से 2022 तक विभाग को सातवां गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है,जो वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विषय की शैक्षणिक गुणवत्ता को प्रदर्शित करता है। व्यवसायिक तथा भौतिकवादी युग में दर्शन शास्त्र विषय की महत्ता कम हुई है परंतु नई शिक्षा नीति 2020 के मेजर और माइनर विषय के रूप में दर्शनशास्त्र विषय में स्नातक स्तर पर छात्रों की संख्या बढ़ी है। स्नातकोत्तर स्तर पर छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए टीजीटी तथा पीजीटी परीक्षाओं में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट तक योग एवं नैतिक शिक्षा के रूप में दर्शनशास्त्र का पाठ्यक्रम लागू करना चाहिए। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर अफसर अली ने कहा कि विभाग में ऐसे सम्मान आयोजित करने से छात्र -छात्राओं में कौशल विकास एवं अभिप्रेरणा बढ़ती है। महाविद्यालय ने भी गोल्ड मेडलिस्ट छात्राओं को शिवली डे पर सम्मानित किया था। डॉ गोविंद नारायण ने कहा कि सिविल सेवा एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में दर्शनशास्त्र का सिलेबस सीमित होने के कारण सफलता मिल रही थी परंतु बीच के दशक में यूपी में स्केलिंग होने के कारण इस विषय में गिरावट आई थी परंतु अब स्केलिंग समाप्त हो गया है। जिससे पुनः इस विषय की महत्ता प्रतियोगी परीक्षाओं में बढ़ेगी। एम ए प्रथम वर्ष के छात्र छात्राओं ने गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा कविता सुनकर को विवेकानंद जी के तैल चित्र को देकर सम्मानित किया अपने सम्मान से अभिभूत होकर कविता सोनकर ने कहा कि वैश्विक महामारी करोना ने दर्शन की जीवन पद्धति योग और घरेलू उपचार से जीवन जीने को सिखाया। दर्शन विषय पढ़कर मैं अपने आपको सौभाग्यशाली और गौरवान्वित महसूस करती हूं कि इस विषय ने मुझे नैतिकता सिखाया। दर्शनशास्त्र विभाग के तीनों शिक्षक पठन -पाठन के लिए कर्तव्यनिष्ठ है, जिसका परिणाम विभाग को सांतवा गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विभागाध्यक्ष कलीम अहमद ने कहा कि दर्शनशास्त्र विभाग किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यहां के छात्र- छात्राओं ने विश्वविद्यालयों में ही नहीं प्रदेश में भी इस विभाग का नाम रोशन किया है। इस विभाग के छात्र डॉ संजीव वीर सिंह प्रियदर्शी डीएवी डिग्री कॉलेज वाराणसी के दर्शनशास्त्र विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में चयनित हुए। ऐसे कई उदाहरण हैं जो देश के अन्य शहरों में शैक्षणिक संस्थानों, यूजीसी नेट एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर विभाग तथा महाविद्यालय का नाम रोशन किया है। सरकार स्नातकोत्तर स्तर पर संचालित दर्शनशास्त्र स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम को वित्त पोषित कर यहां के शिक्षकों को शोध निर्देशक बनाने की अनुमति विश्वविद्यालय को देता है तो निश्चित रूप में भविष्य में यहां से अच्छे शोधार्थी भी निकलेंगे। कार्यक्रम का संचालन कशीश मोदनवाल एवं गरिमा मौर्या ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अलाउद्दीन खान ,प्रोफेसर खालीद, प्रोफेसरआजाद,डा राफे, सतीश गौतम, नवीन गौतम, शगुफा बानो, जैनम बानो, समीर तथा अन्य ने गीत गजल, कविता, नात तथा सामाजिक परिवर्तन विषय पर अपना विचार व्यक्त किये।
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