रिपोर्टर उपेंद्र कुमार पांडे
आजमगढ़। बृहस्पतिवार को तहसील निजामाबाद स्थित साहित्य से दोस्ती पुस्तक केंद्र पर कवि सम्राट अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध के अवसान दिवस पर उनके चाहने वाले साहित्य प्रेमियों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके जीवन एवं कृतियों को याद किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रमोद कुमार और संचालन साक्षी पांडेय ने किया। इस अवसर पर भारतीय, सांस्कृतिक, सहयोग एवं मैत्री संग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र हरि पाण्डेय ने कहा कि कविता हृदय की वह भाषा होती है जो हृदय के अंतर मन को छूती है। कवि सम्राट अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की प्रतिभा और उनकी रचना उसी आत्मीयता को प्रदर्शित करती है। वह एक कल्पना वादी विचारक थे। कहा कि हम सौभाग्यवान है कि इसी निज़ामाबाद की धरती पर अयोध्या सिंह हरिऔध का जन्म हुआ। संचालन करते हुये साक्षी पांडेय ने कहा कि हरिऔध ने साहित्य के क्षेत्र में विद्या वाचस्पति की एक बड़ी उपाधि प्राप्त की थी। भारतीय हिंदी साहित्य में खड़ी बोली की रचना (प्रिय प्रवास) से ख्यातिमान हुए और यह महान पुरुष हमारे बीच से आज ही के दिन 16 मार्च 1947 को चिरनिद्रा में विलीन हो गये। इन्होंने "साहित्य के क्षेत्र में एक संग्राम लड़ा है। साहित्य का क्षेत्र वह संग्राम है जहां कलम की ताकत उस तलवार की ताकत से ज्यादा शक्तिशाली होती है जो केवल एक आघात करती है, परंतु लेखक कलम का आघात प्रतिदिन समाज को बदलने के लिए करता है जो सफल क्रांति का स्वरूप होती है। इस अवसर पर लालमन यादव, डॉ शाहनवाज खान, अजय कुमार तिवारी, आदिल मिर्जा, डॉ तनवीर मिर्जा, रामप्रसाद यादव, राजीव कुमार आदि उपस्थित रहे।
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