कैलाश सिंह विकास वाराणसी
वाराणसी। नेपाल के वर्तमान हालात को देखकर नए नेपाल की बात करना बेईमानी ही होगा। नेपाल का नेतृत्व नेपाल के उत्थान के बजाए सिर्फ सत्ता संर्घष तक सीमित हो चुका है, जिसमें किसी भी प्रकार के सैद्धान्तिक विचार का अभाव दिखलाई पड़ता है। उक्त बातें शुक्रवार को विदेश मामलों के जानकार डॉ. एस.डी. मुनि ने डीएवी पीजी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति - मुद्दे एवं चुनौतियॉ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता कही। डॉ. एस.डी. मुनि ने कहा कि नेपाल की राजनीति काफी अस्थिर है, राजनीतिक दलों में भी बिखराव की स्थिति है, ऐसे में नेपाल की चुनौतियॉ और बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने कहा कि नेपाल की दशा और दिशा भारत और चीन के प्रभाव से संचालित होती रही है। चीन निरंतर इस बात को लेकर प्रयासरत है कि किसी भी प्रकार से सभी माओवादीओं को एक कर दिया जाय, वहीं भारत की स्थिति अभी उलझी हुई दिख रही है। चीन नेपाल की राजनीति में गहरी हस्तक्षेप रखता है नतीजन राजनीतिक अस्थिरता बार बार दिखलाई पड़ती है। वहीं नेपाल में हुए हर एक परिवर्तन में भारत की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारत यदि नेपाल को लेकर अपनी पुरानी गलतियों को सुधार कर ले तो चीन का प्रभाव कम किया जा सकता है।
दूसरे सत्र में प्रो. टी.पी सिंह ने कहा कि नेपाल के हालात ऐसे है कि उसमें किसी भी प्रकार का राजनीतिक परिवर्तन संभव है। वहीं नेपाल में रोजगार की समस्या भी काफी गंभीर होती जा रही है जिसके कारण पलायन तेजी से हो रहा है। इसके अलावा संगोष्ठी में विभिन्न सत्रों में जवाहर लाल नेहरू विवि, नई दिल्ली से प्रो. संजय भारद्वाज, डॉ. शिव बहादुर सिंह नंे भी विचार व्यक्त किया। स्वागत वक्तव्य प्रो. सत्यगोपाल जी ने दिया।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. राकेश कुमार मीणा ने संचालन किया। स्वागत डॉ. प्रियंका सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. स्वाती सुचरिता नन्दा ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. अनूप कुमार मिश्रा, डॉ. प्रतिमा गुप्ता, डॉ. पुनीता पाठक, गौरव मिश्रा, पीयूष पाण्डेय सहित विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी शामिल रहे।
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