कैलाश सिंह विकास वाराणसी
वाराणसी। मुंशी प्रेमचन्द जयंती के अवसर पर रविवार को डीएवी पीजी कॉलेज के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में छात्रो का दल प्रेमचन्द के गांव लमही के शैक्षणिक भ्रमण पर गया। यहाँ प्रेमचन्द को याद करने का अर्थ विषयक चर्चा में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार राम के नेतृत्व में साहित्य अनुरागी अध्यापकों और विद्यार्थियों के समूह ने प्रेमचन्द की स्मृति में उनके घर और गांव का भ्रमण किया और रचनात्मक सम्वाद के जरिये प्रेमचन्द की महत्ता का स्मरण किया।
जन्मस्थली पर चर्चा में विद्यार्थियों के समूह ने ग्रामीण जनों से बात करके प्रेमचन्द की साहित्यिक प्रतिछवियों की पड़ताल की और प्रेमचन्द की स्मृति पर सार्थक चर्चा आयोजित की। चर्चा की शुरुआत करते हुए डीएवी पी जी कॉलेज छात्र अध्ययन समूह ने प्रेमचन्द को आज के समय समाज के आलोक में समझने समझाने की जरूरत पर बल दिया। विद्यार्थियों ने ग्रामीणों जनों के साथ कठपुतली नृत्य के माध्यम से प्रेमचन्द की कलात्मक प्रस्तुति का भी अवलोकन किया। प्रेमचन्द को याद करने का अर्थ विषयक चर्चा में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए डॉ. राकेश कुमार राम ने कहा कि प्रेमचन्द को याद करना आज के दौर में सामाजिक विषमता और आर्थिक संकट से जूझ रहे मध्यवर्ग के संघर्ष को याद करना है। उन्होंने कहा कि प्रेमचन्द जातीय उत्पीड़न और आर्थिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले लेखक हैं इसलिए उनकी चेतना को आज के संदर्भ में विचार करने की जरूरत है। संवाद कार्यक्रम में हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ समीर कुमार पाठक ने प्रेमचन्द को नए ढंग से पढ़ने की बात की । उन्होंने प्रेमचन्द को हिंदी समाज के वैचारिक तार्किकता और सामाजिक तरक्की पर बल देने वाला महत्त्वपूर्ण लेखक बताया। डॉ. विश्वमौलि ने छात्र छात्राओं को प्रेमचन्द से जुड़ी स्मृतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि प्रेमचन्द को याद करने का अर्थ है , होरी, सूरदास, मुन्नी, धनिया और बंशीधर जैसे सामान्य जनों के मूल्यबोध को बचाना।
प्रेमचन्द जयंती के अवसर पर छात्र समूह ने लमही में आए विभिन विद्वानों प्रो. रामकीर्ति शुक्ल, प्रो. वी के शुक्ल, प्रो. आफताब अहमद आफ़क़ी, डॉ. अभय कुमार ठाकुर , प्रो. राधेश्याम दुबे, प्रो. विनय बहादुर सिंह, प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल, प्रो. लालजी, प्रो. ओ एन सिंह के विचारों को भी सुना और सार्थक बातचीत की। छात्रो के दल में मुख्य रूप से विवेकानन्द मिश्र, नीरू, अमरनाथ कुमार, उदय भास्कर, नितीश कुमार, आदर्श पाण्डेय , भास्कर तिवारी, अर्पण क्रिकेट्टा, उदित त्रिपाठी, आदित्य शुक्ल, शिवम शुक्ल,दीपक राय आदि ने रचनात्मक भागीदारी की। सहयोग पूर्व छात्र उज्ज्वल कुमार सिंह का रहा।
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