अमेरिका की अन्ना थेरेसा महाशिवरात्रि पर बनीं सनातनी: सनातन की सरलता से हुई अभिभूत, ब्रह्मचर्य दीक्षा ग्रहण की
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर अमेरिका की अन्ना थेरेसा ने सनातन धर्म को अपनाते हुए ब्रह्मचर्य दीक्षा ग्रहण की। जगद्गुरु सांई मां लक्ष्मी देवी ने उन्हें सनातन परंपरा में विधिवत दीक्षित किया।
सनातन धर्म की सरलता से हुई प्रभावित
अन्ना थेरेसा, जो अमेरिका में जन्मी और पली-बढ़ी हैं, अपने आध्यात्मिक सफर में कई धर्मों का अध्ययन कर चुकी थीं। लेकिन सनातन धर्म की गहराई और इसकी सरलता से वे अत्यधिक प्रभावित हुईं। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर उन्होंने भगवान शिव के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हुए सनातन धर्म को अपनाने का निर्णय लिया।
जगद्गुरु सांई मां लक्ष्मी देवी ने दी ब्रह्मचर्य दीक्षा
अन्ना थेरेसा को जगद्गुरु सांई मां लक्ष्मी देवी ने ब्रह्मचर्य दीक्षा दी और उनके नए आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत कराई। दीक्षा के दौरान वैदिक मंत्रों और संस्कारों के साथ विधिपूर्वक प्रक्रिया संपन्न की गई। अब अन्ना थेरेसा का नया नाम "अन्नपूर्णा भारती" रखा गया है।
महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग
महाशिवरात्रि के दिन सनातन धर्म अपनाना अन्ना थेरेसा के लिए एक विशेष अवसर था। इस दिन भगवान शिव की आराधना पूरे विश्व में होती है, और इसी दिन उन्होंने शिव की भक्ति का मार्ग अपनाया।
अमेरिका से भारत तक का आध्यात्मिक सफर
अन्ना थेरेसा ने बताया कि उन्होंने भारत के आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया और सनातन धर्म के सिद्धांतों को गहराई से समझने का प्रयास किया। वे विशेष रूप से योग, वेदांत और भक्ति परंपरा से प्रभावित रहीं। उन्होंने कहा, "सनातन धर्म सिर्फ एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पद्धति है।"
सनातन धर्म की ओर बढ़ता आकर्षण
हाल के वर्षों में विदेशों में भी सनातन धर्म के प्रति रुचि बढ़ी है। अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों में कई लोग सनातन धर्म को अपनाने लगे हैं और इसके आध्यात्मिक ज्ञान को समझने का प्रयास कर रहे हैं। अन्ना थेरेसा भी इस बदलाव का हिस्सा बनी हैं।
निष्कर्ष
अन्ना थेरेसा का सनातन धर्म अपनाना इस बात का प्रमाण है कि यह धर्म सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता है। उनकी यह यात्रा आध्यात्मिकता की ओर एक प्रेरणादायक कदम है और यह दर्शाता है कि सनातन धर्म अपनी सरलता और गहराई से हर किसी को आकर्षित करता है।