12 साल तक पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं दिया, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति को फटकारा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण फैसले में उस पति को फटकार लगाई है, जिसने 12 साल तक पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं दिया। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब पता चला कि पति ने 35 बार सुनवाई टलवाने की कोशिश की। कोर्ट ने कहा कि ऐसा व्यक्ति किसी भी तरह की रहम का हकदार नहीं।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला उत्तर प्रदेश का है, जहां एक महिला ने अपने पति के खिलाफ गुजारा भत्ता न देने की शिकायत की थी। महिला का कहना था कि पति पिछले 12 साल से उन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं दे रहा।
मामला कोर्ट में पहुंचा, लेकिन पति लगातार सुनवाई टलवाने की कोशिश करता रहा। उसने 35 बार मामले को लटकाया, जिससे महिला को काफी मानसिक और आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ीं।
कोर्ट का कड़ा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति के इस व्यवहार को अनुचित और अन्यायपूर्ण बताया। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस शिवशंकर प्रसाद की बेंच ने कहा:
"12 साल तक पत्नी को गुजारा भत्ता न देना और 35 बार सुनवाई टलवाना यह दर्शाता है कि पति किसी भी तरह की दया का हकदार नहीं है। यह केवल कानून का दुरुपयोग करने की कोशिश थी।"
कोर्ट ने न सिर्फ महिला के पक्ष में फैसला सुनाया, बल्कि पति पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि अब वह किसी भी तरह की रहम की उम्मीद न रखे।
गुजारा भत्ता क्यों जरूरी है?
- आर्थिक स्वतंत्रता – शादी के बाद अगर पत्नी आर्थिक रूप से कमजोर हो तो पति का कर्तव्य है कि वह उसे सहयोग करे।
- संवैधानिक अधिकार – भारतीय कानून में महिला को गुजारा भत्ता पाने का अधिकार दिया गया है।
- नैतिक जिम्मेदारी – शादी सिर्फ एक रिश्ता नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी भी होती है।
अब आगे क्या होगा?
- कोर्ट ने आदेश दिया कि पति को जल्द से जल्द बकाया गुजारा भत्ता चुकाना होगा।
- अगर पति भुगतान नहीं करता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- यह फैसला उन महिलाओं के लिए एक मिसाल बनेगा, जो गुजारा भत्ता न मिलने की वजह से संघर्ष कर रही हैं।
न्याय का संदेश
यह फैसला उन लोगों के लिए एक स्पष्ट संदेश है, जो कानून का गलत फायदा उठाकर अपने दायित्वों से बचना चाहते हैं। गुजारा भत्ता केवल एक कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि एक महिला की गरिमा से जुड़ा विषय भी है।