विधानसभा में तनातनी: रागिनी सोनकर के सवाल पर ब्रजेश पाठक आहत; मंत्री ने कहा, 'आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय नहीं बढ़ेगा'
उत्तर प्रदेश विधानसभा के हालिया सत्र में समाजवादी पार्टी की विधायक डॉ. रागिनी सोनकर और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बीच तीखी बहस देखने को मिली। यह बहस आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय वृद्धि के मुद्दे पर केंद्रित थी, जिसमें डॉ. सोनकर ने सरकार से उनके वेतन में बढ़ोतरी की मांग की।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय: एक महत्वपूर्ण मुद्दा
डॉ. रागिनी सोनकर ने विधानसभा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ये कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन उन्हें उचित मानदेय नहीं मिलता। उन्होंने सरकार से उनके वेतन में वृद्धि की मांग की।
उपमुख्यमंत्री का जवाब और विवाद
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, ने डॉ. सोनकर के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि संभव नहीं है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकार उनकी स्थिति में सुधार के लिए अन्य कदम उठा रही है।
सदन में तनावपूर्ण माहौल
डॉ. सोनकर ने उपमुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर कहा कि सवाल पूछने पर ब्रजेश पाठक आहत हो जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा से बच रही है और विपक्ष के सवालों का उचित जवाब नहीं दे रही। इस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार विपक्ष के सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है, लेकिन चर्चा का स्तर मर्यादित होना चाहिए।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की स्थिति
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्रामीण भारत में बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करती हैं। उनकी सेवाएं महामारी के दौरान और भी महत्वपूर्ण हो गई हैं। हालांकि, लंबे समय से वे अपने मानदेय में वृद्धि की मांग कर रही हैं, जो उनकी मेहनत और योगदान के मुकाबले कम है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कहा कि सरकार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और उनके मानदेय में वृद्धि करनी चाहिए। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि वे वित्तीय स्थिति को देखते हुए निर्णय ले रहे हैं और कार्यकर्ताओं की स्थिति में सुधार के लिए अन्य कदम उठा रहे हैं।
निष्कर्ष
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय वृद्धि का मुद्दा न केवल आर्थिक है, बल्कि यह उनके सम्मान और मान्यता से भी जुड़ा है। सरकार और विपक्ष को मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए, ताकि ये कार्यकर्ता और अधिक उत्साह से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।