रामलला दर्शन के नियमों में बदलाव: सुबह 6:30 बजे से दर्शन, मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लागू
अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए दर्शन और आरती के समय में एक बार फिर परिवर्तन किया गया है। 3 मार्च से लागू इन नए नियमों के तहत, अब रामलला के दर्शन सुबह 6:30 बजे से प्रारंभ होंगे, और मंदिर परिसर में मोबाइल फोन के उपयोग पर पुनः प्रतिबंध लगाया गया है। इन परिवर्तनों के साथ ही, श्रद्धालुओं की संख्या में भी कमी देखी गई है।
दर्शन और आरती के नए समय
मंदिर प्रशासन द्वारा जारी नए समय-सारिणी के अनुसार:
- मंगला आरती: प्रातः 4:00 बजे
- दर्शन बंद: 4:15 बजे से 6:00 बजे तक
- शृंगार आरती: सुबह 6:00 बजे
- दर्शन का समय: सुबह 6:30 बजे से 11:50 बजे तक
- राजभोग: 11:50 बजे से 12:00 बजे तक (इस दौरान दर्शन बंद)
- भोग आरती: दोपहर 12:00 बजे
- दर्शन का समय: दोपहर 12:30 बजे से 1:00 बजे तक
- दर्शन बंद: दोपहर 1:00 बजे से 1:30 बजे तक
- दर्शन का समय: दोपहर 1:30 बजे से शाम 6:50 बजे तक
- दर्शन बंद: शाम 6:50 बजे से 7:00 बजे तक
- संध्या आरती: शाम 7:00 बजे
- दर्शन का समय: रात 9:45 बजे तक
- दर्शन बंद: रात 9:45 बजे से 10:00 बजे तक (भोग के लिए)
- शयन आरती: रात 10:00 बजे
- मंदिर बंद: रात 10:15 बजे से अगले दिन प्रातः तक
यह परिवर्तन महाकुंभ 2025 के समापन के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
मोबाइल फोन पर प्रतिबंध
मंदिर परिसर में सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर, मोबाइल फोन के उपयोग पर पुनः प्रतिबंध लगाया गया है। महाकुंभ के दौरान बढ़ती भीड़ को संभालने के लिए यह प्रतिबंध अस्थायी रूप से हटाया गया था, लेकिन अब इसे फिर से लागू किया गया है।
प्रवेश और निकासी मार्ग में बदलाव
श्रद्धालुओं की संख्या में कमी को देखते हुए, मंदिर प्रशासन ने प्रवेश और निकासी मार्ग में भी परिवर्तन किया है। अब श्रद्धालु राम जन्मभूमि पथ से मंदिर में प्रवेश करेंगे और अंगद टीले के पास बने नए गेट से बाहर निकलेंगे। गेट नंबर 3, जो महाकुंभ के दौरान खोला गया था, अब बंद कर दिया गया है।
श्रद्धालुओं की संख्या में कमी
महाकुंभ के दौरान प्रतिदिन 3 से 4 लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए आते थे। अब यह संख्या घटकर 2 से 2.5 लाख प्रतिदिन हो गई है। श्रद्धालुओं की संख्या में इस कमी के कारण मंदिर प्रशासन ने दर्शन और आरती के समय में परिवर्तन किया है, ताकि व्यवस्थापन सुचारू रूप से चल सके।
निष्कर्ष
मंदिर प्रशासन द्वारा किए गए ये परिवर्तन श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू किए गए हैं। श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे इन नए नियमों का पालन करें और मंदिर परिसर में अनुशासन बनाए रखें, जिससे सभी को सुगम और सुरक्षित दर्शन का अनुभव प्राप्त हो सके।