DIG आजमगढ़ सुनील कुमार सिंह ने लिया संज्ञान, सख्त कार्रवाई के दिए संकेत!
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जनपद में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधानसभा संगठन प्रभारी श्री उमापति राजभर के साथ हुई पुलिस मारपीट के मामले में, क्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) सुनील कुमार सिंह ने संज्ञान लिया है। यह घटना स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है, जिससे पुलिस और जनता के बीच संबंधों पर प्रश्नचिह्न लग गए हैं।
घटना का विवरण:
मिली जानकारी के अनुसार, श्री उमापति राजभर किसी सरकारी कार्य से तहसील परिसर में उपस्थित थे। इसी दौरान, एसडीएम बांसडीह के स्टेनो ने कथित रूप से उनके पैर पर वाहन चढ़ा दिया, जिसके बाद दोनों के बीच कहासुनी और हाथापाई हुई। स्टेनो की शिकायत पर, बांसडीह कोतवाली के एक सब-इंस्पेक्टर और सिपाही ने श्री राजभर को हिरासत में लिया और थाने ले जाकर उनके साथ मारपीट की। इस घटना से सुभासपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त हो गया।
पार्टी की प्रतिक्रिया:
सुभासपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव डॉ. अरविंद राजभर ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि पार्टी अपने प्रत्येक कार्यकर्ता के सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रकार की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी। डॉ. राजभर ने चेतावनी दी कि यदि शाम तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो पार्टी उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व में बांसडीह थाने का घेराव करेगी।
डीआईजी का संज्ञान:
घटना की गंभीरता को देखते हुए, आज़मगढ़ के डीआईजी सुनील कुमार सिंह ने मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से तत्काल जांच रिपोर्ट मांगी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। डीआईजी ने कहा कि पुलिस विभाग में अनुशासनहीनता और अत्याचार के लिए कोई स्थान नहीं है, और पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव:
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में पुलिस की भूमिका और आचरण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता में सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास बहाल करने के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष जांच आवश्यक है। साथ ही, राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ इस प्रकार की घटनाएं लोकतंत्र के मूल्यों पर भी प्रहार करती हैं।
निष्कर्ष:
श्री उमापति राजभर के साथ हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने पुलिस और जनता के बीच संबंधों की संवेदनशीलता को उजागर किया है। डीआईजी सुनील कुमार सिंह द्वारा त्वरित संज्ञान लेना सकारात्मक कदम है, लेकिन न्याय की पूर्ण स्थापना के लिए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है। यह घटना सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक सीख है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन सम्मान और संवेदनशीलता के साथ करें, ताकि जनता का विश्वास बना रहे और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हो सके।