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वाराणसी में आरपीएफ का लाठीचार्ज: महिलाओं ने लगाए मारपीट के आरोप, प्रशासन ने दी पीएम सुरक्षा की दलील!

वाराणसी में आरपीएफ का लाठीचार्ज: महिलाओं ने लगाए मारपीट के आरोप, प्रशासन ने दी पीएम सुरक्षा की दलील!

हाल ही में वाराणसी के ककरमत्ता गांव में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा ग्रामीणों पर लाठीचार्ज की घटना सामने आई है। ग्रामीण महिलाओं ने आरोप लगाया है कि आरपीएफ कर्मियों ने उनके बाल नोचे और लाठियों से पिटाई की। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के मद्देनजर यह कार्रवाई आवश्यक थी।

घटना का विवरण

शनिवार को बरेका प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से उत्तरी ककरमत्ता से बरेका जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया था। इससे स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया, क्योंकि यह मार्ग उनके दैनिक आवागमन के लिए महत्वपूर्ण था। ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें महिलाओं को आगे रखकर पथराव भी किया गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आरपीएफ ने लाठीचार्ज किया, जिससे कई महिलाएं और पुरुष घायल हो गए। सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है।

ग्रामीणों के आरोप

ग्रामीण महिलाओं का आरोप है कि आरपीएफ कर्मियों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। उन्होंने बताया कि विरोध के दौरान आरपीएफ ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, उनके बाल नोचे और लाठियों से प्रहार किया। इस घटना से ग्रामीणों में भय और आक्रोश व्याप्त है।

अधिकारियों का पक्ष

अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह मार्ग बंद किया गया था। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में किसी भी प्रकार की चूक न हो, इसलिए यह कदम उठाया गया। अधिकारियों के अनुसार, ग्रामीणों द्वारा किए गए पथराव के बाद ही आरपीएफ ने लाठीचार्ज किया।

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में पूर्व में हुई घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर वाराणसी में तनाव की स्थिति बनी हो। पिछले वर्ष रुद्राक्ष सेंटर के बाहर प्रधानमंत्री के काफिले के सामने एक युवक के कूदने की घटना सामने आई थी, जिससे सुरक्षा में चूक का मामला उठा था। उस समय पुलिस ने तत्परता से युवक को हिरासत में लिया था। 

निष्कर्ष

ककरमत्ता गांव की यह घटना सुरक्षा और जनसंपर्क के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर करती है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा सर्वोपरि है, लेकिन स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं और भावनाओं का सम्मान भी महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति  में संवाद और सहयोग से समाधान निकालना ही सबसे उचित मार्ग है।

 

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