संगम में अब भी महाकुंभ जैसा नजारा: श्रद्धालुओं की भीड़, अमृतवर्षा की अनुभूति
प्रयागराज का संगम तट एक बार फिर महाकुंभ जैसा नजारा पेश कर रहा है। भले ही महाकुंभ समाप्त हो चुका हो, लेकिन रोजाना लगभग 2 लाख श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि संगम का जल अमृत के समान है और यहां हर समय आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होती है।
हर दिन लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान कर रहे
महाकुंभ की भव्यता भले ही बीत गई हो, लेकिन संगम तट की रौनक अभी भी बनी हुई है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर तीर्थराज प्रयाग में स्नान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।
- सुबह से ही संगम तट पर लंबी कतारें लग जाती हैं।
- कई श्रद्धालु परिवार सहित आकर पूजा-अर्चना और दान-पुण्य कर रहे हैं।
- संत-महात्मा अभी भी प्रवास कर रहे हैं, जिससे आध्यात्मिक माहौल बना हुआ है।
श्रद्धालुओं का मानना है कि –
"यहां आने से आत्मा को शांति मिलती है और हर समय अमृतवर्षा का अहसास होता है।"
ढाई हजार दुकानें, मेला जैसा माहौल
संगम तट पर इन दिनों लगभग ढाई हजार दुकानें लगी हुई हैं, जिससे यहां मेले जैसा नजारा देखने को मिल रहा है।
- फूल-माला, पूजा सामग्री, धार्मिक ग्रंथों और प्रसाद की दुकानें लगी हुई हैं।
- भंडारे का आयोजन भी लगातार किया जा रहा है, जहां हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।
- खासतौर पर गंगा जल, रुद्राक्ष, कुम्भ मेले की स्मृति चिह्न खरीदने वालों की भीड़ अधिक देखी जा रही है।
श्रद्धालुओं की आस्था – संगम में स्नान का महत्व
प्रयागराज के संगम में स्नान को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि –
- “संगम स्नान से जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं।”
- “गंगा, यमुना और सरस्वती का यह मिलन त्रिवेणी संगम है, जहां स्नान करना सौभाग्य की बात होती है।”
क्या कहता है प्रशासन?
प्रशासन के अनुसार –
- श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई है।
- साफ-सफाई और गंगा जल की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- भक्तों की सुविधा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।