महिला दिवस पर प्रेरणादायक कहानी: प्रयागराज की सुमनलता ने 10 साल से नशे के खिलाफ छेड़ी मुहिम, 5000 लोगों को तंबाकू से दिलाई आज़ादी
महिला दिवस पर हम उन महिलाओं की बात करते हैं, जो समाज में बदलाव लाने के लिए काम कर रही हैं। प्रयागराज की सुमनलता ऐसी ही एक प्रेरणादायक महिला हैं, जिन्होंने पिछले 10 सालों से नशे के खिलाफ अभियान चला रखा है और अब तक 5000 से ज्यादा लोगों को तंबाकू और नशे की लत से छुटकारा दिला चुकी हैं।
कैसे हुई इस मुहिम की शुरुआत?
🔹 सुमनलता का बचपन बेहद संघर्षपूर्ण रहा। उनके परिवार में कई लोग नशे के आदी थे, जिसके कारण उन्होंने बहुत सी परेशानियां झेली।
🔹 उन्होंने देखा कि नशा परिवारों को तोड़ता है, लोगों की जिंदगी खराब करता है। तभी उन्होंने संकल्प लिया कि वह नशे के खिलाफ एक आंदोलन छेड़ेंगी।
🔹 2014 में उन्होंने नशा मुक्त अभियान की शुरुआत की, जिसका मकसद था लोगों को तंबाकू, शराब और अन्य नशीले पदार्थों से दूर करना।
5000 लोगों की जिंदगी बदली
👉 सुमनलता ने अपने अभियान के तहत गली-गली जाकर लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में बताया।
👉 उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि वे तंबाकू, गुटखा और शराब छोड़कर अपने जीवन को बेहतर बनाएं।
👉 अब तक उनके इस प्रयास से 5000 से अधिक लोग नशे से मुक्त हो चुके हैं।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं सुमनलता
✅ सुमनलता की इस पहल ने कई परिवारों को उजड़ने से बचाया है।
✅ उनकी इस मुहिम में कई और महिलाएं भी जुड़ चुकी हैं, जो अपने आस-पास के लोगों को नशे से बचाने के लिए काम कर रही हैं।
✅ उन्होंने समाज में यह साबित कर दिया कि अगर एक महिला ठान ले, तो वह बड़े से बड़ा बदलाव ला सकती है।
‘नशे को छोड़ो, जीवन संवारो’ – सुमनलता
💬 सुमनलता कहती हैं, "नशा सिर्फ व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है। हमें इसे जड़ से खत्म करना होगा।"
💬 "मुझे खुशी है कि मेरी छोटी-सी कोशिश से हजारों लोगों की जिंदगी बदल रही है।"
निष्कर्ष
महिला दिवस पर सुमनलता की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बदलाव संभव है। उनकी यह पहल समाज के लिए एक मिसाल है और हमें यह प्रेरणा देती है कि हम भी नशे जैसी बुरी आदतों से खुद को और अपने आसपास के लोगों को बचाएं।