फुटबॉल की नेशनल प्लेयर ने ई-रिक्शा चलाकर खरीदी स्पोर्ट्स बाइक: वाराणसी महाकुंभ में रोजाना कमाए 5-7 हजार
सुमन सिंह, एक राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल खिलाड़ी, ने अपनी मेहनत और जज्बे से एक मिसाल कायम की है। वाराणसी में महाकुंभ के दौरान उन्होंने ई-रिक्शा चलाकर रोज 5-7 हजार रुपये कमाए और अपने सपनों की स्पोर्ट्स बाइक खरीदी। समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए सुमन ने यह दिखा दिया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
महिला फुटबॉलर की संघर्ष से सफलता तक की कहानी
🔹 सुमन सिंह वाराणसी की रहने वाली हैं और फुटबॉल की नेशनल प्लेयर रह चुकी हैं।
🔹 खेल के प्रति उनके जुनून के बावजूद, आर्थिक परेशानियों के चलते उन्हें अपनी जरूरतें खुद पूरी करनी पड़ीं।
🔹 महाकुंभ में जब लाखों श्रद्धालु वाराणसी पहुंचे, तो सुमन ने ई-रिक्शा चलाने का फैसला किया।
🔹 उन्होंने रोजाना 5,000 से 7,000 रुपये कमाए और कुछ ही महीनों में अपनी मनचाही स्पोर्ट्स बाइक खरीद ली।
‘मेरे लिए यह सिर्फ बाइक नहीं, मेरे सपनों की उड़ान है’ – सुमन
सुमन ने कहा,
👉 "मैं हमेशा से एक स्पोर्ट्स बाइक खरीदना चाहती थी, लेकिन आर्थिक हालात ठीक नहीं थे।"
👉 "महाकुंभ के दौरान जब मैंने देखा कि ई-रिक्शा से अच्छी कमाई हो रही है, तो मैंने खुद भी इसे चलाने का फैसला किया।"
👉 "अब जब मैंने अपनी मेहनत से यह बाइक खरीदी है, तो मुझे गर्व महसूस हो रहा है।"
रूढ़ियों को तोड़ने वाली सुमन की प्रेरणादायक कहानी
🚀 सुमन की कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो समाज की परवाह किए बिना अपने सपनों के लिए मेहनत करने को तैयार हैं।
🚀 महिला सशक्तिकरण का यह एक बेहतरीन उदाहरण है, जो दिखाता है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।
🚀 उनकी इस मेहनत से वह अन्य लड़कियों को भी अपने सपनों के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगी।
निष्कर्ष
सुमन सिंह ने यह साबित कर दिया कि अगर आप सच्चे मन से मेहनत करें, तो कोई भी सपना नामुमकिन नहीं होता। चाहे फुटबॉल का मैदान हो या ई-रिक्शा की सवारी, सुमन ने हर परिस्थिति को अपने पक्ष में बदला और अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी।