बरसाना की लट्ठमार होली: जब घूंघट में छुपी गोपियां बरसाती हैं प्यार भरी लाठियां
बरसाना की लट्ठमार होली का नाम सुनते ही रंग, उमंग और संस्कृति का अद्भुत मेल आंखों के सामने आ जाता है। इस बार भी बरसाना की गलियां रंगों और परंपराओं से सराबोर हो गईं। 10 क्विंटल गुलाल उड़ाया गया और विशेष रूप से हेलिकॉप्टर से फूलों की बारिश कर माहौल को और भी भव्य बना दिया गया।
क्या है लट्ठमार होली का इतिहास?
बरसाना की लट्ठमार होली का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम प्रसंग से जुड़ा है। मान्यता है कि होली के दिन श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ राधा के गांव बरसाना पहुंचे थे और गोपियों के साथ रंग खेलने लगे। इस पर गोपियों ने कृष्ण और उनके सखाओं को लाठियों से खदेड़ा। तभी से यह परंपरा लट्ठमार होली के रूप में प्रसिद्ध हो गई।
घूंघट में छुपी गोपियों का लट्ठमार अंदाज
इस बार की लट्ठमार होली में महिलाओं ने पारंपरिक परिधान पहनकर घूंघट डालकर लाठियां भांजी। दूसरी ओर पुरुषों ने ढाल लेकर इस 'प्रेम भरी मार' को सहन किया। इस दृश्य ने बरसाना की गलियों को उत्साह और उमंग से भर दिया।
हेलिकॉप्टर से हुई फूलों की बारिश
आयोजन के दौरान विशेष रूप से हेलिकॉप्टर से गुलाब और गेंदा के फूलों की बारिश कर माहौल को और भी भव्य बना दिया गया। रंग, गुलाल और फूलों की इस होली ने देश-विदेश से आए हजारों पर्यटकों का मन मोह लिया।
देश-विदेश के पर्यटकों का आकर्षण
लट्ठमार होली को देखने के लिए देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचे। बरसाना की होली को देखने के लिए अमेरिका, जापान, रूस और यूरोप से भी सैकड़ों पर्यटक आए।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की तैयारी
इतने बड़े आयोजन को देखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा के इंतजाम किए थे। होली के उत्सव को सुरक्षित और सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए पुलिस बल की भी तैनाती की गई थी।