प्रयागराज में कपड़ा फाड़ होली: सालों पुरानी परंपरा, जहां मस्ती में गूंजता है खास गीत
प्रयागराज का होली उत्सव अपने अनोखे अंदाज के लिए जाना जाता है, खासतौर पर यहां की कपड़ा फाड़ होली। इस परंपरा की शुरुआत वर्षों पहले हुई थी और आज भी यह उत्सव अपने रंगीन माहौल के लिए प्रसिद्ध है।
कहां से हुई थी कपड़ा फाड़ होली की शुरुआत?
कपड़ा फाड़ होली का यह अनूठा अंदाज उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में वर्षों पहले शुरू हुआ था। इस परंपरा में लोग पारंपरिक होली के साथ मस्ती में झूमते हुए अपने कपड़े फाड़ते हैं। माना जाता है कि इसकी शुरुआत संगम क्षेत्र में रहने वाले अखाड़ों के साधुओं ने की थी, जो भक्ति और उत्सव के जोश में इस होली को खास अंदाज में मनाते थे।
तीन दिन तक गूंजता है खास गीत
कपड़ा फाड़ होली में एक खास गीत वर्षों से प्रसिद्ध है, जिसे गाने के बाद ही इस अनोखी होली का आगाज होता है। इस गीत की धुन पर लोग झूमते, नाचते और मस्ती में सराबोर होते हैं।
नाच-गाने और मस्ती का माहौल
होली के दौरान कपड़ा फाड़ने की यह परंपरा पूरी तरह से मस्ती और भाईचारे का प्रतीक मानी जाती है। लोग रंगों में सराबोर होकर "होली है!" के नारे लगाते हुए झूमते हैं। कपड़े फाड़ने का मकसद किसी को चोट पहुंचाना नहीं, बल्कि होली की मस्ती में खुद को पूरी तरह भुला देना होता है।
सुरक्षा और प्रशासन के इंतजाम
हालांकि कपड़ा फाड़ होली में कभी-कभी मस्ती हद से आगे निकल जाती है, इसलिए प्रशासन ने इस आयोजन के दौरान सख्त सुरक्षा व्यवस्था की होती है। पुलिस बल तैनात रहते हैं ताकि त्योहार के दौरान किसी भी तरह की अनहोनी को रोका जा सके।
कपड़ा फाड़ होली का महत्व
यह परंपरा केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज में समानता का प्रतीक भी है। यहां राजा-रंक, गरीब-अमीर सभी एक साथ मस्ती करते हैं और होली के रंगों में एकता का संदेश देते हैं।