टिकैतराय की होली: जब अवध के नवाब ने शुरू कराया था रंगोत्सव
लखनऊ की होली अपने खास अंदाज के लिए मशहूर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां की टिकैतराय की होली का एक खास ऐतिहासिक महत्व भी है? अवध के नवाब द्वारा शुरू कराई गई यह परंपरा आज भी पूरे शहर में रंगों की बौछार और उत्साह के साथ मनाई जाती है।
क्यों खास है टिकैतराय की होली?
यह परंपरा तब शुरू हुई थी जब अवध के नवाब के शासनकाल में होली के दिन मोहर्रम का संयोग पड़ा था। चूंकि मोहर्रम गम का अवसर होता है और होली खुशी का त्यौहार, इस कारण नवाब ने पहले होली का रंगोत्सव मनाने का फैसला किया ताकि मोहर्रम में कोई खलल न पड़े। इस निर्णय के बाद से लखनऊ में होली के दिन विशेष रूप से टिकैतराय का रंगोत्सव मनाया जाता है।
टिकैतराय का ऐतिहासिक महत्व
लखनऊ के ऐतिहासिक क्षेत्र चौक बाजार में स्थित टिकैतराय का स्थान इस उत्सव का केंद्र है। यहां हर साल रंगों की बरसात के साथ होली का भव्य आयोजन किया जाता है। इस उत्सव में गुलाल, अबीर और फूलों की होली का खास महत्व होता है।
रंगों के साथ होती है उमंग और उल्लास की झलक
टिकैतराय की होली में न केवल लखनऊवासी बल्कि देश-विदेश से भी पर्यटक शामिल होते हैं। ढोल-नगाड़ों की थाप पर थिरकते लोग, पारंपरिक परिधान और रंग-बिरंगे चेहरे इस आयोजन की रौनक बढ़ाते हैं।
सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक
यह होली केवल रंगों तक सीमित नहीं है, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी है। यहां सभी धर्मों के लोग एकजुट होकर रंगों में सराबोर होते हैं, जिससे गंगा-जमुनी तहजीब की झलक मिलती है।
लखनऊ की शान बनी परंपरा
आज भी नवाबों के जमाने से चली आ रही यह परंपरा उतनी ही भव्यता से मनाई जाती है। लोग इसे लखनऊ की सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।