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लखनऊ: अंसल ग्रुप पर 85 लाख लेने के बाद कब्जा न देने और धमकी देने के आरोप में 6 नए मुकदमे दर्ज

लखनऊ: अंसल ग्रुप पर 85 लाख लेने के बाद कब्जा न देने और धमकी देने के आरोप में 6 नए मुकदमे दर्ज

लखनऊ में अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एपीआई) के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में, सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में एपीआई के निदेशकों और कर्मचारियों पर छह नए मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में आरोप है कि कंपनी ने 85 लाख रुपये लेने के बावजूद आवंटियों को प्लॉट का कब्जा नहीं दिया, और पैसे वापस मांगने पर उन्हें धमकाया गया।

आरोपों का विवरण:

  • धोखाधड़ी: आवंटियों का कहना है कि उन्होंने एपीआई से प्लॉट बुक करने के लिए बड़ी रकम जमा की, लेकिन वर्षों बाद भी उन्हें न तो प्लॉट का कब्जा मिला और न ही उनकी राशि वापस की गई।
     
  • धमकी: जब आवंटियों ने अपनी जमा राशि वापस मांगी, तो कंपनी के अधिकारियों ने उन्हें धमकाया और फर्जी मामलों में फंसाने की चेतावनी दी।
     

प्रभावित आवंटियों के उदाहरण:

  • अनुपम अग्रवाल: सुशांत गोल्फ सिटी के निवासी अनुपम अग्रवाल ने सितंबर 2022 में 1528.22 वर्ग मीटर के प्लॉट के लिए करीब 2.32 करोड़ रुपये जमा किए। जब उन्होंने दिसंबर 2022 में रजिस्ट्री के लिए संपर्क किया, तो कंपनी ने अतिरिक्त 2 करोड़ रुपये की मांग की। मना करने पर उन्हें धमकाया गया, और उनकी जमा राशि भी वापस नहीं की गई।
     
  • पुष्पलता बाजपेई: अलीगंज निवासी पुष्पलता बाजपेई ने 2011 में एक प्लॉट बुक किया था और 13.21 लाख रुपये जमा किए थे। 14 साल बाद भी उन्हें प्लॉट का कब्जा नहीं मिला है।
     
  • कन्हैया लाल: तेलीबाग निवासी कन्हैया लाल ने 2012 में 12.71 लाख रुपये देकर एक प्लॉट बुक किया था। 12 साल में कंपनी ने पांच बार प्लॉट बदला, लेकिन कहीं भी कब्जा नहीं दिया।
     

कानूनी कार्रवाई:

इन मामलों में अंसल एपीआई के चेयरमैन सुशील अंसल, निदेशक प्रणव अंसल, और अन्य अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी, धमकी, और आपराधिक विश्वासघात के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और कंपनी के वित्तीय लेन-देन की भी जांच की जा रही है। 

निष्कर्ष:

अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ बढ़ते मुकदमों ने रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेशकों की सुरक्षा और विश्वास पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आवश्यक है कि संबंधित अधिकारी इस मामले की गहन जांच करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में इस प्रकार की धोखाधड़ी रोकी जा सके।

 

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