हाईकोर्ट का आदेश: यूपी सरकार को एक महीने में शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के निर्देश
प्रयागराज, 19 मार्च 2025 – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रदेश के शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि के संबंध में एक महीने के भीतर निर्णय लेकर कोर्ट में हलफनामा दायर करे।
पृष्ठभूमि: शिक्षामित्रों की मांग और पूर्व आदेश
वर्ष 2023 में शिक्षामित्रों ने 'समान कार्य के लिए समान वेतन' की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने शिक्षामित्रों के न्यूनतम मानदेय को अपर्याप्त मानते हुए राज्य सरकार को एक समिति गठित कर सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करने का निर्देश दिया था। हालांकि, सरकार की ओर से इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर अवमानना याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट की वर्तमान टिप्पणी
कोर्ट ने सरकार के वकील द्वारा मानदेय वृद्धि के लिए संबंधित विभागों के बीच परामर्श जारी होने की जानकारी पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इतने समय बाद भी निर्णय न लेना शिक्षामित्रों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि एक महीने के भीतर निर्णय नहीं लिया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षामित्रों की वर्तमान स्थिति
उत्तर प्रदेश में लगभग 1.5 लाख शिक्षामित्र कार्यरत हैं, जिन्हें वर्तमान में लगभग 7,000 से 10,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है। महंगाई और जीवनयापन की बढ़ती लागत के बीच यह मानदेय अपर्याप्त माना जा रहा है, जिससे शिक्षामित्र लंबे समय से वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार के प्रतिनिधि ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि मानदेय वृद्धि के संबंध में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं और संबंधित विभागों के साथ परामर्श जारी है। सरकार ने कोर्ट से दो महीने का समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने केवल एक महीने का समय प्रदान किया है।
आगे की राह
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 1 मई 2025 निर्धारित की है, जिसमें सरकार को आदेश के अनुपालन में हलफनामा प्रस्तुत करना होगा। यदि सरकार इस अवधि में मानदेय वृद्धि पर निर्णय नहीं लेती है, तो कोर्ट अवमानना कार्यवाही पर विचार कर सकता है।