पिता का तर्पण करने काशी आए मैथ्यू: घाट पर किया पिंडदान, कहा- 'पापा की आखिरी इच्छा थी'
वाराणसी के गंगा घाटों पर श्रद्धा और आस्था का एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले मैथ्यू अपने दिवंगत पिता के तर्पण के लिए काशी आए। उन्होंने पवित्र गंगा नदी के दशाश्वमेध घाट पर वैदिक मंत्रों के बीच पिंडदान कर अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। मैथ्यू ने बताया कि उनके पिता की अंतिम इच्छा थी कि उनका तर्पण वाराणसी के पवित्र घाटों पर किया जाए।
पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने आए मैथ्यू
मैथ्यू के अनुसार, उनके पिता भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में गहरी आस्था रखते थे। उन्होंने हमेशा कहा था कि उनके निधन के बाद उनका पिंडदान काशी में करवाया जाए। अपने पिता की इस अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए मैथ्यू ने हजारों किलोमीटर का सफर तय किया और काशी के गंगा घाट पहुंचे।
दशाश्वमेध घाट पर किया पिंडदान
मैथ्यू ने दशाश्वमेध घाट पर पंडितों के मार्गदर्शन में वैदिक मंत्रों के साथ विधि-विधान से पिंडदान किया। इस दौरान उन्होंने गंगा नदी में आस्था के साथ दीपदान भी किया और अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। मैथ्यू ने कहा, "मेरे पिता भारतीय संस्कृति को बहुत मानते थे, यह उनकी आखिरी इच्छा थी जिसे पूरा कर मैं बेहद संतुष्ट महसूस कर रहा हूं।"
काशी की धार्मिक महत्ता से प्रभावित मैथ्यू
मैथ्यू ने काशी के धार्मिक माहौल और संस्कृति की तारीफ करते हुए कहा कि यहां आकर उन्हें अद्भुत शांति का अनुभव हुआ। उन्होंने बताया कि वाराणसी की आध्यात्मिकता, गंगा आरती और यहां के धार्मिक अनुष्ठानों ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया।
पिंडदान का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में पिंडदान का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि पिंडदान करने से दिवंगत आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है और वे पितृलोक में शांति को प्राप्त करते हैं। वाराणसी के घाटों पर विशेष रूप से श्राद्ध पक्ष, पितृ पक्ष और अमावस्या के अवसर पर पिंडदान का आयोजन बड़े स्तर पर किया जाता है।