कानपुर में 84 साल पुरानी परंपरा: हटिया से भैंसे ठेले पर निकलेंगे हुरियारे, 30 फीट ऊंची मटकी फोड़ का आयोजन
कानपुर में होली के खास मौके पर हर साल निकलने वाली हुरियारे की परंपरा इस बार भी धूमधाम से निभाई जाएगी। हटिया इलाके से निकलने वाली इस अनोखी परंपरा में भैंसे को ठेले पर बैठाकर जुलूस निकाला जाता है। यह आयोजन कानपुर की संस्कृति का खास हिस्सा है और इसे 84 वर्षों से जारी रखा गया है।
क्या है हुरियारे परंपरा?
कानपुर के हटिया इलाके में हर साल होली के अवसर पर 'हुरियारे' का आयोजन किया जाता है। इस परंपरा के तहत भैंसे को विशेष रूप से सजाकर ठेले पर बैठाया जाता है और इसे शहर की गलियों में घुमाया जाता है। यह जुलूस न केवल मनोरंजन का माध्यम होता है, बल्कि इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर आनंद लेते हैं।
बिरहाना रोड पर 30 फीट ऊंची मटकी फोड़ का आयोजन
इस परंपरा का सबसे बड़ा आकर्षण बिरहाना रोड पर होने वाला 30 फीट ऊंची मटकी फोड़ प्रतियोगिता है। इसमें प्रतिभागी पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर लटकी मटकी को फोड़ने का प्रयास करते हैं। यह दृश्य देखने के लिए सैकड़ों लोग उमड़ते हैं और पूरा माहौल होली के रंग में रंगा नजर आता है।
84 साल पुरानी परंपरा को निभाने का उत्साह
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परंपरा पिछले 84 वर्षों से लगातार निभाई जा रही है। यह आयोजन कानपुर की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बन चुका है और इसे देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जुलूस के दौरान सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। पुलिस प्रशासन ने जुलूस मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाई है और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष टीमों को तैनात किया गया है।
हुरियारे का सांस्कृतिक महत्व
यह परंपरा सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि इसमें क्षेत्रीय संस्कृति और सामाजिक एकता की झलक देखने को मिलती है। हुरियारे के माध्यम से लोग अपनी परंपराओं से जुड़े रहते हैं और इसे आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।