देश का पहला ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर लखनऊ में बनेगा, 7.5 हजार करोड़ की लागत; 7 रूट होंगे जुड़े
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ देश के पहले ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर का केंद्र बनने जा रही है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर 7,500 करोड़ रुपये की लागत आएगी और यह लखनऊ के साथ आसपास के 7 प्रमुख रूटों को जोड़ेगा। परियोजना का सर्वे 7 महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।
क्या है ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर?
ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर एक परिधीय रेलवे नेटवर्क होता है, जो शहरों के बाहरी इलाकों को जोड़ता है। इसका उद्देश्य मेट्रो शहरों और औद्योगिक केंद्रों के बीच सुगम कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जिससे सड़क यातायात का बोझ कम होगा और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं में सुधार आएगा।
लखनऊ ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर की खासियतें:
- 7 प्रमुख रूटों से कनेक्टिविटी, जिससे कानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, रायबरेली और सीतापुर जैसे शहर जुड़ेंगे।
- 7,500 करोड़ रुपये की लागत से यह देश का सबसे बड़ा रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट होगा।
- सर्वे 7 महीनों में पूरा होगा और 2026 तक निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है।
- यह मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम का हिस्सा होगा, जिससे यात्रियों और माल परिवहन को लाभ मिलेगा।
कैसे होगा फायदा?
👉 यात्रियों के लिए: लखनऊ से अन्य शहरों की यात्रा तेज और आरामदायक होगी।
👉 उद्योगों के लिए: माल ढुलाई की लागत घटेगी, जिससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
👉 सड़क यातायात में कमी: हाईवे पर ट्रैफिक कम होगा, जिससे प्रदूषण और जाम की समस्या घटेगी।
सरकार का क्या कहना है?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस परियोजना को उत्तर प्रदेश के विकास में मील का पत्थर बताया है। रेलवे मंत्रालय और राज्य सरकार मिलकर इसे जल्द पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
निष्कर्ष
लखनऊ में बनने वाला यह देश का पहला ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर उत्तर प्रदेश को रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। इससे न सिर्फ यात्रियों को सहूलियत मिलेगी, बल्कि व्यापार और उद्योगों को भी जबरदस्त फायदा होगा।