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26 फरवरी को डा.इंदु चौधरी आयेंगी खिरिया बाग

26 फरवरी को डा.इंदु चौधरी आयेंगी खिरिया बाग

उपेंद्र कुमार पाण्डेय आजमगढ़ 

      खिरिया की बाग( कप्तानगंज) आजमगढ़ । जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में खिरिया बाग में 136 वें दिन धरना जारी रहा। *एयरपोर्ट का विस्तार बहाना है-जमीन लूट निशाना है,एयरपोर्ट विस्तारिकरण का मास्टर प्लान रद्द करो,अडानी-अंबानी से यारी,मजदूर-किसानों से गद्दारी नहीं चलेगी,कौन बनाता हिंदुस्तान-भारत का मजदूर किसान,जमीन हमारी आपकी-नहीं किसी के बाप की,यह जंग जीतेंगे अबकी बार-ये ऐलान हमारा है* आदि नारें गूंजते रहे।धरने में किसान नेताओं और महिलाओं व सांस्कृतिक कर्मियों ने अपने सम्बोधन को गीतों व भाषण के माध्यम से प्रस्तुत किया। वक्ताओं ने कहा कि आजमगढ़ एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के खिलाफ  खिरिया बाग आंदोलन चार महीने से अधिक समय से जुझारू रूप से चल रहा है। जनता अपने मजबूत इरादे और दृढ़ एकता के बल पर जहाँ एक ओर शासन-प्रशासन को मजबूर किया है कि वह कम से कम ग्रामीणों की बात सुने, वहीं दूसरी ओर इसने प्रादेशिक -राष्ट्रीय स्तर के किसान नेताओं को भी आकर्षित किया है कि वे खिरिया बाग आंदोलन के साथ खड़े हों। इस क्रम में कई किसान नेता, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता अब तक आ चुके हैं। दिनांक 26 फरवरी को बी.एच.यू. से डा.इन्दु चौधरी  जी आ रही हैं। मौजूदा सरकार देश की जल-जंगल-जमीन व सारे सरकारी संस्थानों को

चंद बड़े पूंजीपतियों और देशी-विदेशी कम्पनियों को मुनाफा पहुँचाने के लिए छीनती जा रही है। सरकार और कम्पनियों की इसी गिद्धदृष्टि का निशाना आज हमारी आपकी जमीन और मकान-दुकान है। पहले से ही भयानक बेरोजगारी, कमरतोड़ मँहगाई, सूदखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी, नशाखोरी का जाल बिछाकर किसानों-मजदूरों का खून चूसने वाली सरकार अब हमें पूरी तरह से सड़क पर ला देना चाहती है। लेकिन देश के अन्य किसान-मजदूर, बेरोजगार आंदोलनों की तरह आपने भी यह दिखा दिया है कि हम सरकार की इस मनमानी और बुलडोजर राज को नहीं चलने देंगे। खिरिया बाग आंदोलन की बदौलत अन्य क्षेत्रों और आंदोलनों के लोग लगातार जुड़ रहे हैं! इसी क्रम में देवारा क्षेत्र के साथी जो गन्ना खरीद की गारन्टी, पन्द्रह दिनों में गन्ना मूल्य का भुगतान, आवारा पशुओं से फसल बर्बादी, बांध की समुचित प्रबन्ध-व्यवस्था आदि सवालों को लेकर संघर्षरत है, खिरिया बाग आंदोलन के साथ जुड़ रहे हैं। खिरिया बाग की लड़ाई जाति,धर्म से ऊपर उठकर जनता के बीच सामूहिक भावना के साथ जमीन बचाने की भावना ही नहीं देश बचाने की भावना को बढ़ाया है। खिरिया बाग की लड़ाई देश बचाने की लड़ाई बन चुकी है। यह सरकार चंद पूंजीपतियों को मुनाफा पहुँचाने के लिए भयानक बेरोजगारी, कमरतोड़ मँहगाई, सूदखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी, नशाखोरी का जाल बिछाकर किसानों-मजदूरों का खून चूस रही है। यह सरकार विकास के नाम पर किसानों की जमीन छीन रही है। धरने को श्याम नारायण रामनयन यादव, रामराज, राधेश्याम, दुखहरन राम, राजेश आज़ाद, सुनीता, किस्मती देवी, महेंद्र राय, रामधनी, अशोक, नीलम, सुशीला, बिंदु यादव, कालिंदी, सुशीला शर्मा आदि ने संबोधित किया।

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