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नेपाल में राजशाही समर्थकों का हिंसक प्रदर्शन: काठमांडू में पुलिस से भिड़े, किंग ज्ञानेंद्र को सत्ता सौंपने की मांग

नेपाल में राजशाही समर्थकों का हिंसक प्रदर्शन: काठमांडू में पुलिस से भिड़े, किंग ज्ञानेंद्र को सत्ता सौंपने की मांग

नेपाल में राजशाही समर्थकों का प्रदर्शन अब उग्र रूप ले चुका है। रविवार को काठमांडू में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और पुलिस से भिड़ गए। उनकी प्रमुख मांग पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को दोबारा सत्ता सौंपने की है। इस आंदोलन के चलते कई इलाकों में झड़पें हुईं, पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।

क्यों हो रहा है प्रदर्शन?

नेपाल में 2008 में राजशाही खत्म कर लोकतांत्रिक सरकार बनी थी, लेकिन हाल के वर्षों में जनता में असंतोष बढ़ा है। महंगाई, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के कारण राजशाही समर्थक एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। उनका कहना है कि नेपाल को फिर से राजशाही की जरूरत है, ताकि देश में स्थिरता और विकास आ सके।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प

रविवार को प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के प्रमुख इलाकों में मार्च निकाला। जब वे संघीय संसद भवन की ओर बढ़ने लगे, तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया, जिसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे

किंग ज्ञानेंद्र पर लगे गंभीर आरोप

गौरतलब है कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर कई विवादास्पद आरोप हैं। 2001 में हुए नरसंहार में उनका नाम लिया जाता है, जिसमें राजा बीरेंद्र सहित 9 लोगों की हत्या हुई थी। हालांकि, इस मामले की पूरी सच्चाई अब तक सामने नहीं आई है।

सरकार का क्या कहना है?

नेपाल सरकार का कहना है कि संविधान के तहत नेपाल एक लोकतांत्रिक गणराज्य है और किसी भी हाल में राजशाही की वापसी संभव नहीं है। सरकार ने प्रदर्शनकारियों से शांत रहने और संविधान का सम्मान करने की अपील की है।

नेपाल में फिर लौटेगी राजशाही?

भले ही राजशाही समर्थकों का प्रदर्शन तेज हो रहा है, लेकिन नेपाल की संसद और संविधान में बदलाव की संभावना कम है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आंदोलन नेपाल में स्थानीय चुनावों और सत्ता संघर्ष से जुड़ा हो सकता है।

 

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