क्या यूपी में योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्व की काट ढूंढ ली है अखिलेश यादव ने?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में हिंदुत्व एक बड़ा मुद्दा रहा है, और योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव इस एजेंडे की काट खोजने की कोशिश में हैं। सवाल यह है कि क्या वे इसमें सफल हो रहे हैं?
अखिलेश यादव की नई रणनीति
2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अखिलेश यादव ने "सॉफ्ट हिंदुत्व" की ओर झुकाव दिखाना शुरू कर दिया है। वह श्रीराम, परशुराम, कृष्ण जैसे हिंदू देवी-देवताओं के नाम ले रहे हैं, मंदिरों में जा रहे हैं और ब्राह्मणों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि वह "वास्तविक हिंदू" हैं, जो प्रेम और सौहार्द की बात करते हैं।
क्या यह रणनीति योगी के हिंदुत्व को चुनौती दे सकती है?
योगी आदित्यनाथ का हिंदुत्व हमेशा से संगठनात्मक समर्थन और उनकी गोरखनाथ मठ की पहचान से जुड़ा रहा है। वे राम मंदिर निर्माण, हिंदू राष्ट्रवाद और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं। अखिलेश यादव की हिंदू पहचान पर जोर देने की कोशिश यूपी के पारंपरिक यादव-मुस्लिम समीकरण से आगे बढ़ने की रणनीति हो सकती है, लेकिन क्या यह बीजेपी के मजबूत हिंदुत्व एजेंडे को चुनौती दे पाएगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।
अखिलेश की चुनौतियां
- समाजवादी पार्टी की मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भरता
- हिंदुत्व की छवि के कारण मुस्लिम मतदाताओं की नाराजगी
- योगी आदित्यनाथ के मजबूत हिंदू समर्थक आधार से मुकाबला
निष्कर्ष
अखिलेश यादव की यह रणनीति समाजवादी पार्टी को नई दिशा देने की कोशिश हो सकती है, लेकिन योगी आदित्यनाथ के स्थापित हिंदुत्व एजेंडे को चुनौती देने के लिए उन्हें ज़्यादा मेहनत करनी होगी। यूपी की राजनीति में हिंदुत्व का असली मुकाबला 2024 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा।