RSS ने मोदी को 'मोदी' कैसे बनाया: आरक्षण और मुसलमानों पर बदला रुख, रिश्ते की कहानी
नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का रिश्ता दशकों पुराना है। संघ ने ही मोदी को एक संघ प्रचारक से देश के प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने में मदद की। लेकिन इस सफर में कई बदलाव भी देखने को मिले, खासतौर पर आरक्षण और मुस्लिम समुदाय को लेकर संघ और मोदी दोनों के रुख में।
संघ और मोदी: वैचारिक जुड़ाव से नेतृत्व तक
नरेंद्र मोदी 1970 के दशक में RSS में शामिल हुए और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की नींव पड़ी। 1990 के दशक में जब वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े, तो संघ ने उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में तैयार किया। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से लेकर 2014 में प्रधानमंत्री बनने तक, RSS ने मोदी को पूरी ताकत से समर्थन दिया।
आरक्षण और मुसलमानों पर बदलता रुख
- आरक्षण पर नरम हुआ संघ – पहले RSS आरक्षण नीति में बदलाव चाहता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे बरकरार रखते हुए पिछड़ों और दलितों को और अधिक लाभ देने की नीति अपनाई।
- मुस्लिम मुद्दों पर लचीला रुख – जहां संघ हमेशा हिंदू राष्ट्रवाद की वकालत करता रहा, वहीं मोदी सरकार ने सबका साथ, सबका विकास की नीति अपनाई। हालांकि, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और तीन तलाक जैसे फैसलों से मोदी ने मुस्लिम राजनीति को नए तरीके से परिभाषित किया।
संक्षेप में
RSS ने मोदी को न केवल एक राजनेता बल्कि एक मजबूत विचारधारा का चेहरा बनाया। दोनों का रिश्ता वैचारिक समानता और रणनीतिक मतभेदों के साथ आज भी मजबूत बना हुआ है।