सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मंशा की उड़ी धज्जियां, पीड़ित छात्राएं सड़कों पर उतरने को हुई बेबस
कृपा शंकर चौधरी
गोरखपुर। पिपराइच थाना क्षेत्र के बेला में अवस्थित सिसोदिया नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज द्वारा सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान की धज्जियां उड़ाते हुए सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया गया है। फर्जी प्रमाण पत्र देने वाले इस संस्थान से परेशान छात्राएं अब अभिभावकों की गाढ़ी कमाई किसी तरह प्राप्त करने की कोशिश में लगी हुई हैं। परेशान छात्राओं द्वारा कॉलेज की शिकायत जिला अधिकारी से की गई है।
दरअसल सिसोदिया नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज पिपराइच मैं सत्र 2021 से 25 तक छात्राओं द्वारा नामांकन कराया गया और एएनएम पाठ्यक्रम हेतु प्रवेश दिया गया। इसके एवज में छात्राओं के अभिभावकों से लगभग 120000 से ज्यादा तक की फीस वसूली गई। किंतु अब कॉलेज से उत्तीर्ण हो चुके छात्रों और नए छात्रों को जब यह पता चला की विद्यालय से मिलने वाला प्रमाण पत्र केवल एक कागज का टुकड़ा है तो सब परेशान हो गए और अपने पैसे के लिए कालेज का चक्कर लगाने लगे। हालांकि शुरुआत में कॉलेज के द्वारा बताया गया था कि यह संस्था मान्यता प्राप्त है और पाठ्यक्रम प्रशासनिक एवं अकादमिक रूप से वैध है किंतु यह एकदम झूठा साबित हुआ।
छात्राओं द्वारा 19 मई को विद्यालय के प्रबंधक का घेराव करने पर निदेशक अशोक कुमार सिंह एवं परिषद अध्यक्ष डॉ दिनेश कुमार शुक्ल द्वारा आश्वासन दिया गया कि सभी छात्राओं को उनकी पूरी फीस वापस की जाएगी।
उनके द्वारा लिखित रूप में एक महीने में पैसे वापस करने की बात कही गई किंतु 1 महीने बाद विद्यालय पर जाने पर वहां ताला बंद मिला जिससे सारे छात्र-छात्र हैं परेशान हो उठे।
आखिरकार एकत्रित छात्राओं द्वारा इसकी शिकायत जिलाधिकारी गोरखपुर को करने का मन बनाया गया और जिले पर पहुंचकर इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की गई।
जिलाधिकारी को दिए गए प्रार्थना पत्र में बताया गया है कि उक्त परिषद एवं कॉलेज का कोई वैध संबद्धता प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी स्टेट नर्सिंग काउंसिल अथवा नर्सिंग काउंसिल आफ इंडिया द्वारा मान्य नहीं है। पूरे पाठ्यक्रम में कोई नियमित कक्षा प्रशिक्षण संचालन नहीं किया गया। छात्राओं को अंधेरे में रखकर उनका समय मेहनत और पैसे को बर्बाद किया गया। जब छात्राएं निजी सरकारी नर्सिंग नौकरियां हेतु आवेदन करती हैं तो अस्वीकृति के पत्र स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यह प्रमाण पत्र अमान्य है।
पीड़ित 280 छात्राओं द्वारा जिला अधिकारी महोदय से मांग किया गया है कि इस संस्थान के खिलाफ गंभीर प्रशासनिक एवं कानूनी जांच की जाए छात्राओं द्वारा दी गई संपूर्ण फीस की वापसी हेतु कार्रवाई कर संबंधित बैंक खाता या अन्य माध्यम से भुगतान कराया जाए संस्थान के फर्जी कार्यों को देखते हुए अभियोग दर्ज कर कार्रवाई की जाए भविष्य में इस प्रकार के फौजी शिक्षा संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया जाए और मान्यता न होने पर संचालन पर रोक लगे ताकि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी राष्ट्रीय योजना को दृष्टिगत रखते हुए छात्राओं के भविष्य की रक्षा की जा सके।
इसके अलावा कई छात्राओं ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि विद्यालय के द्वारा उनके और उनके परिजनों के पास फोन किया जा रहा है और शिकायत करने पर फीस की वापसी न करने और परेशान करने की बात कही जा रही है।
कुल मिलाकर शिक्षा प्राप्त करने वाली छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है इसके लिए प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करते हुए सर्वप्रथम कॉलेज को सील कर देना चाहिए ताकि इस तरीके का कार्य करने वाले संस्थाओं के लिए यह एक नजीर साबित हो सके और पीड़ित छात्राओं को न्याय मिल सके।