महेंद्र मिश्रा ब्यूरो लखनऊ
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने
कहा है कि झूठ के पैर नहीं होते हैं। भाजपा की केन्द्र और राज्य
सरकारें जनता को बहकाने की कोशिश में स्वयं ही बेनकाब होते जा रहे है।
मुख्यमंत्री जब बृहस्पतिवार को कानपुर रोड पर होटल-रेस्त्रा महासंघ के
राष्ट्रीय अधिवेशन में बोल रहे थे तभी बिजली गुल हो गयी। इससे पूर्व भी
लोकभवन की बैठकों में तथा निवेशकों के साथ बैठक में भी बिजली गायब रही।
राज्य सरकार के बिजली की अबाध आपूर्ति के झूठ दावों की बराबर पोल खुल रही
है जिस पर भी उत्तर प्रदेश के सभी घरों को दिसम्बर 2018 तक रोशन कर देने का
भरोसा दिया जा रहा है।
सच तो यह है कि भाजपा राज में
बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। राजधानी लखनऊ तक में बिजली की आंख
मिचैली का खेल लगातार दिन में कई-कई बार हो रहा है, कोई देखने सुनने वाला
नहीं है। अफसरी दावों पर कोई विश्वास नहीं करता है। समाजवादी सरकार में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रि काल में नए विद्युत उपकेन्द्र बने थे,
और विद्युत परियोजनाओं से बिजली का उत्पादन दो गुना हो गया था। ग्रामीण
क्षेत्रों में कम से कम 16 घंटे तथा शहीरी क्षेत्रों में 20 से 24 घंटे तक
विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था की गई थी। अखिलेश यादव ने ऊर्जा सेक्टर
के ढांचे में सुधार किया। राज्य विद्युत उत्पादन निगम की स्थापित क्षमता
में वृद्धि की गई। तापीय और सौर ऊर्जा के उत्पादन पर विशेष बल दिया गया। अखिलेश यादव द्वारा ही ललितपुर और कन्नौज में सोलर पावर प्लांटो का
लोकार्पण किया गया।
भाजपा की राज्य सरकार ने बिजली
व्यवस्था में सुधार के बजाए उसको पूरी तरह बिगाड़ कर रख दिया है। वैसे
उन्हें जनहित का कोई भी काम करने में रूचि नही है। उनके लिए चुनाव के
मद्देनजर जातियों-उपजातियों के सम्मेलन करना ज्यादा जरूरी काम है।
बिजलीघरों की क्षमता बढ़ाने के बजाए वे जनता को कैसे ज्यादा परेशान किया जाए
इसके प्रयोग और खोज में शक्ति लगाते रहते हैं। उनकी कारोबारी समझ है कि
जनता को सुख सुविधा देने के काम के बजाए जाति-धर्म के बहकावे में वोट हासिल
कर लेना ज्यादा फायदेमंद होगा। लेकिन अब जनता भी समझ गई है कि उसकी
समस्याओं के निदान के बजाए भाजपा उन्हें ज्यादा उलझाने का काम करती है। वह
इसका उचित समय आने पर समुचित जवाब देने को तैयार बैठी है।
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