जिला संवाददाता रवि तहकीकात न्यूज़
दुनियादारी व समाज की चिंता छोड़ कर बेटियो व
महिलाओ ने सभी कुरीतियों को दरकिनार कर दिया है और खुद गंगा की गोद मे जाकर
अपने प्रियजनों का श्राद्ध व तर्पण कर समाज को एक नया आईना दिखा रही है।
ऐसा ही एक वाक्या किदवई नगर बाबूपुरवा की 65 वर्षीय अन्नपूर्णा सिंह चंदेल व
उनकी बेटी शिक्षिका करुणा सिंह गौर ने कर दिखाया है।भारतीय संस्कृति में
परम्पराओं का अपना एक अलग महत्व है यहां पर समाज मे जितना पुरुष प्रभावशाली
होता है उतना ही घर की दहलीज के अंदर महिला प्रभावशाली होती है लेकिन कभी
कभी जब घर के मुखिया की असामायिक मौत हो जाती है तो महिला आगे बढ़ कर अपने
साथ साथ मुखिया की जिम्मेदारी का निर्वहन करती है और वह सभी दायित्वों को
निभाती है जो कि पुरुषों को निभाने चाहिए।
किदवई नगर निवासी अन्नपूर्णा
सिंह चंदेल के पति कृष्ण पाल सिंह चंदेल की अचानक मृत्यु हो जाने पर पूरा
घर बिखर गया इनके परिवार में केवल 4 पुत्रियां है पुत्र न होने के कारण
अन्नपूर्णा सिंह के सामने पति के श्राद्ध व तर्पण को लेकर गम्भीर संकट
उतपन्न हो गया जब किसी तरफ से भी राह नही दिखाई पड़ी तब उन्होंने समाज का
उलाहनों और उपेक्षाओं को दरकिनार कर दिया और खुद ही इस कार्य को करने का
जिम्मा उठाया। मां अन्नपूर्णा सिंह द्वारा उठाई गई इस जिम्मेदारी में उनका
साथ देने के लिये उनकी बड़ी पुत्री करुणा सिंह जो कि शिक्षिका भी हैं ने आगे
बढ़ी और कंधे से कंधा मिलकर साथ दिया लगातार तीन वर्षों से मां अन्नपूर्णा
सिंह के साथ बेटी करुणा सिंह शहर के प्रमुख सरसैया घाट पर आकर गंगा स्नान
करती है और पूरे वैदिक रीति रिवाजों के माध्यम से अपने पिता का तर्पण करती
है और ब्राह्मणों को भोज कराने के साथ साथ गरीबो को भोजन कराती है और दान
दक्षिणा करती हैं।
तर्पण कर समाज को दिखाई नई दिशा
अन्नपूर्णा
सिंह ने बताया कि हमारा बेटा नही है 4 बेटियां ही है जो बेटे का पूरा फर्ज
अदा करती है पहले समाज ने इन कार्यो को करने से रोका लेकिन बेटियों के साथ
के चलते हमने यह बीड़ा उठाया। कहा कि अगर हम यह नही करेंगे तो कौन पानी
देगा आज हमने पति की आत्मा की शांति को लेकर तर्पण किया है और 15 दिन तक
ऐसे ही तर्पण करते रहेंगे।
बेटी करुणा ने बताया कि
पिताजी का श्राद्ध के लिए यहां पहुंचे है हम बड़े है घर मे लगातार माँ को
लेकर पिछले तीन सालों से आ रहे है मन मे श्रद्धा होनी चाहिये जरूरी नही है
कि यह काम पुरुष ही करें। भगवान ने तो ऐसा नही बनाया की ये अधिकार पुरुषों
को है इसलिए सबकी समानता बराबर होनी चाहिए।
पुरोहित
सुमित मिश्रा ने बताया कि समाज और संस्कार कहते है कि महिलाओं बेटियां
द्वारा अपने पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करना वर्जित है लेकिन इनके
परिवार में बेटियां ही है और वह बेटों का रोल अदा कर रही है जो सराहनीय है।
और ऐसा ही होना चाहिए बराबर की समानता समाज मे होनी चाहिए जिससे समाज के
लोग पुरुषों के साथ साथ महिलाओ को भी उतना ही समाज मे अधिकार दे सकें।
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