ग्राउंड रिपोर्ट-विश्वपति वर्मा
देश
भर में छाए बड़े मुद्दे राफेल और बढ़ती पेट्रोल के कीमतों पर आपकी भी नजर
गड़ी हुई है तो मैने सोचा कि आपको भारत के गांवों में लेकर चलूं जंहा पर यह
देखा जाए कि किस तरहं से जनता के लिए लाई गई योजनाओं में बंदरबांट हुआ है
और किसी का भी ध्यान इस पर नही पंहुच रहा है ।
यह
सोचते हुए कि हो सकता है कलेक्टर साहब का ही ध्यान इस पर पंहुच जाए और
स्थलीय निरीक्षण के दौरान पंहुचकर यंहा की व्यवस्था देख विभागीय अधिकारियों
को कुछ दिशा निर्देश-आदेश दे जाएं।
तस्वीर
सल्टौआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत गोरखर की है जंहा पर नीर निर्मल योजना के
तहत वर्ष 2014 में पानी की टंकी का निर्माण हुआ था लेकिन गांव के लोगों का
दुर्भाग्य है कि आज तक इस टंकी से पानी की सप्लाई नही हो पाई जबकि परियोजना
को उद्देश्य तक पंहुचाने के लिए 1 करोड़ 67 लाख रुपये की स्वीकृति हुई है ।
4
वर्ष पूर्व जब गांव के लोगों के लिए स्वच्छ पेय जल उपलब्ध करवाने के लिए
परियोजना का शिलान्यास रखा गया तब गांव के लोगों में काफी खुशी थी लेकिन
देखते ही देखते योजना का सारा पैंसा डकार लिया गया और ग्रामवासियों के सपने
धरे के धरे रह गए
जब हमने
इस पानी की टंकी का पड़ताल किय तो पता चला कि अभी तक यंहा बोरिंग भी नही
लगाया गया है वंही दूसरी तरफ बोरिंग एवं रखरखाव के लिए बनाए गए भवन भी टूट
रहे हैं पानी टंकी के चारो तरफ बने चाहरदीवारी तो टूट कर बगल के खेतों में
गिर चुकी है जो बचा हुआ है वह भी गिरने के कगार पर है ।
ऐसी
स्थिति को देखकर एक बड़ा सवाल पैदा होता है कि आखिर इस योजना को उद्देश्य
तक पंहुचाने के लिए जिम्मेदार लोग गंभीर क्यों नही हैं ?क्या यह योजना अब
कागजों में सिमट कर रह जायेगी ?आख़िर कौन है इसका जिम्मेदार ?कौन तय करेगा
जवाबदेही? यह एक बड़ा सवाल है इस किये कलेक्टर साहब को यंहा आना ही चाहिए।
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