कृपा शंकर चौधरी ब्यूरो गोरखपुर
सरकार हुई कोरोनावायरस की शिकार
पूर्ण बहुमत से आई भारतीय जनता पार्टी की सरकार के तेवर शुरूआती दिनों में कड़े दिखे, सरकार द्वारा नित नए प्रयोगों का जनता ने सर आंखों पर लिया । ऐसा लगा शायद अन्य सरकारों से भिन्न हो रहे कार्य प्रदेश को विकास की उच्च शिखर तक पहुंचाने में कामयाब होंगी। बेरोजगारी मिट जाएगी, युवाओं के चेहरे खिल उठेंगे, किसानों के खेत लहलहाएगें, फ़सल की दोगुनी कीमत मिलेगी आदि आदि।
प्राकृतिक प्रकोप कहें या सरकार का दुर्भाग्य,कोरोनावायरस क्या आया सरकार की बनी बनाई कई मंजिली विकास की इमारत रेत के महल की भांति फरफरा कर उड़ने लगे। जो मुंह एक समय चुप रहने को मजबूर थे आज उनके पास मुद्दे ही मुद्दे मुंह बाए खड़े हैं। गांव के गलियों से गुजरे या शहर के सड़कों से हर जगह सरकार की विफलताओं को गिनाते लोग मिल जाएंगे। ऐसा नहीं है कि सरकार कुछ कर नहीं रही है हालत यह है कि सरकार अपनी शाख बचाने की हरसंभव प्रयास कर रही है।
प्रश्न उठना जायज है कि क्या सरकार अपनी जिम्मेदारियों पर विफल हो गई है ? क्या कोरोना काल से पहले सरकार का किया गया कार्य मात्र दिखावा था ? आदि प्रश्र मुंह बाए खड़े हैं। अलग अलग बुद्धिजीवियों की मानें तो सरकार अपने खुद के द्वारा बनाए गए जाल में फस गई है कोरोनावायरस मात्र एक माध्यम बन गया।
राजनीतिक ज्ञान रखने वालों की मानें तो पूर्ण बहुमत में आई भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं को घमंड हो गया कि सब कुछ मेरी देन है और धमंड इतना बढ़ गया कि वे भूल गए कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और सरकार भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की देन है और इस व्यवस्था के प्रत्येक सदस्य का मत जाहिर करने का अधिकार है। हालत यह हो गई कि चुन कर आने के बाद भी आप अपनी मंशा नहीं जाहिर कर सकते। परिणाम क्या हुआ खार खाए बैठे लोगों को कोरोना काल में मौका मिला और वह विपक्ष के हां में हां मिलाते दिखें।
बात करें लगातार बढ़ रहे अपराध की तो वह वास्तविकता में इसमें बढ़ोतरी हुई है। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो अपराध का कारण कोरोनावायरस से जोड़ सकते हैं। दरअसल रोजगार छीनने और लम्बे समय से जमा पूंजी ख़र्च होते रहने से अपने भविष्य को लेकर लोग चिंतित हैं या कहें लोगों पर मनोवैज्ञानिक दबाव है।इस कारण से छोटी छोटी बातों को लेकर हत्या जैसी संगीन अपराध हो जा रहें हैं। आनंद मार्ग के एक आचार्य ने बताया कि लोगों के खान पान और खाली रहने से भी अपराध बढ़े हैं। योग और ध्यान पर यदि विश्वास कर जीवन में उतारा जाए तो इसके बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे और लोगों की सहनशक्ति बढ़ेंगी।
वर्तमान समय पर गहन चिंतन और विचारों के आदान-प्रदान से यह बात निकली की समय सरकार के अनुकूल नहीं है और भविष्य में और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
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