राकेश सिंह गोण्डा
श्रवण पाकर में माघ अमावस्या के दिन मेले का आयोजन
गोंडा:-छपिया ब्लाक के गुड़गांव स्थित श्रवण पाकर में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी माघ अमावस्या के दिन मेला लगा श्रवण पाकर नाम का मतलब श्रवण कुमार से जुड़ी हुई कहानी है भारतीय इतिहास में श्रवण कुमार की कहानी को अमर माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के अयोध्याकांड के 64वें अध्याय में श्रवण कुमार की कथा मिलती है। श्रवण कुमार के माता-पिता बूढ़े और अंधे थे।
इस कथा के अनुसार श्रवण कुमार की पत्नी उसके माता-पिता की सेवा नहीं करती थी। वह पति के सामने उनकी सेवा का ढोंग करती परन्तु पीछे से उन्हें तंग किया करती थी। एक बार श्रवण कुमार ने उसे इस बात के लिए डांटा तो वह पति को छोड़ कर मायके चली गई। इसके बाद श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता से पूछा, मां-पिताजी अगर आपके जीवन की कोई अधूरी इच्छा हो तो मुझे बताइए, मैं उसे पूरा करूंगा। इस पर उन्होंने बेटे से तीर्थस्थलों की यात्रा कराने की बात कही।माता-पिता की इस इच्छा को पूरी करने के लिए श्रवण कुमार ने दो बड़ी-बड़ी टोकरियां ली और उन्हें एक मजबूत लाठी के दोनों सिरों पर रस्सी से बांधकर लटका दिया। इस तरह उसने एक बड़ा कांवड़ बना कर उसमें अपने माता-पिता को बिठाया और उन्हें तीर्थ यात्रा के लिए लेकर रवाना हो गया।
उसने इसी कांवड़ के जरिए अपने माता-पिता को सभी तीर्थस्थलों की यात्रा करवाई। इसी दौरान वह अयोध्या पहुंचा, जहां अपने माता-पिता के लिए पानी भरते हुए वह अयोध्या नरेश दशरथ के शब्दभेदी बाण का शिकार हो गया तथा मृत्यु को प्राप्त हुआ। यह श्रवण पाकर वही स्थान है जहां पर उनकी माता पिता की मृत्यु हुई थी और यहां माघ महीने की अमावस्या के दिन मेले का आयोजन होता है और दूरदराज से लोग मेला देखने आते हैं
राजा दशरथ के हाथों अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार सुन कर उसके माता-पिता ने दशरथ को भी पुत्र वियोग में मृत्यु होने का शाप दिया और तुरंत ही प्राण त्याग दिए।
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