लखनऊ ब्यूरो
भा.ज.पा नेतृत्व यह नहीं भूले कि जनता भी सच जानती और पहचानती है- अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने कहा कि जनता की याददाश्त इतनी खराब नहीं कि लखनऊ में उच्च स्तरीय कैंसर अस्पताल के निर्माता का नाम भूल जाये। भा.ज.पा के पास कोई योजना नहीं होने से इसका नेतृत्व हताशा मैं डूब गया है। मुख्यमंत्री जी ने ये फार्मूला अपना रखा है जनता के नाम जो समाजवादी पार्टी का काम उसे कर लेना है अपने नाम।
श्री यादव ने कहा की समाजवादी सरकार ने कैंसर अस्पताल बनवाया। अब जब विदाई की बेला आ गई है तो मुख्यमंत्री जी समाजवादी सरकार के काम का अपने नाम का पत्थर लगवा रहे। जनता इन पत्थरों पर अपना सिर पटकने के अलावा क्या करे।
कैंसर इंस्टिट्यूट एंड हॉस्पिटल का लोकार्पण समाजवादी सरकार में 2016 में हो चूका था। भा.ज.पा सरकार के चार साल में भी उसका संचालन नहीं हो सका। भा.ज.पा नेतृत्व यह नहीं भूले कि जनता भी सच जानती और पहचानती है। सन 2022 में जनता दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी। भा.ज.पा जनता को अब और भ्रमित नहीं कर पाएगी।
समाजवादी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में गंभीर रोगों- किडनी, लीवर, कैंसर और दिल से ग्रस्त निर्धन लोगों को मुफ्त इलाज की व्यवस्था थी। बी.पी.एल कार्ड धारकों का समस्त उपचार एवं परीक्षण निशुल्क किया गया। गंभीर और गरीब मरीजों को मुख्यमंत्री कोष से मदद भी दी गई।
भा.ज.पा सरकार के पास आज कैंसर दिवस पर कहने के लिए अब बचा ही क्या है?
श्री यादव ने कहा की समाजवादी सरकार ने कैंसर अस्पताल बनवाया। अब जब विदाई की बेला आ गई है तो मुख्यमंत्री जी समाजवादी सरकार के काम का अपने नाम का पत्थर लगवा रहे। जनता इन पत्थरों पर अपना सिर पटकने के अलावा क्या करे।
कैंसर इंस्टिट्यूट एंड हॉस्पिटल का लोकार्पण समाजवादी सरकार में 2016 में हो चूका था। भा.ज.पा सरकार के चार साल में भी उसका संचालन नहीं हो सका। भा.ज.पा नेतृत्व यह नहीं भूले कि जनता भी सच जानती और पहचानती है। सन 2022 में जनता दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी। भा.ज.पा जनता को अब और भ्रमित नहीं कर पाएगी।
समाजवादी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में गंभीर रोगों- किडनी, लीवर, कैंसर और दिल से ग्रस्त निर्धन लोगों को मुफ्त इलाज की व्यवस्था थी। बी.पी.एल कार्ड धारकों का समस्त उपचार एवं परीक्षण निशुल्क किया गया। गंभीर और गरीब मरीजों को मुख्यमंत्री कोष से मदद भी दी गई।
भा.ज.पा सरकार के पास आज कैंसर दिवस पर कहने के लिए अब बचा ही क्या है?
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