विश्वपति वर्मा ;
फूलों से मकान ,दुकान सजाना कोई गुनाह नहीं है ,परन्तु जब देश की बहुसंख्यक आबादी 20 रूपये से कम पर जीवन यपान करने के लिए मजबूर है तब मंहगे -मंहगे फूलों से सरकारी पैंसों से मंच और राजनीतिक दफ्तर को सजाना जनता को ''फूल ''बनाने से कम नहीं है। जिसमे लाखों रूपये की रकम बेवजह बर्बाद कर दी जाती है।
वैसे तो केंद्र और प्रदेश सरकार ''फूल ''से ही बनी है, जब पूरी सरकार ''फूल ''पर ही टिकी है तो सरकार फूलों की उपेक्षा कैसे कर सकती है। लेकिन आपको यह मालूम होना चाहिए कि भारत में ताजा फूलों की कीमत भी काफी अधिक होती है। आपको हम कुछ तस्वीर दिखा रहें हैं जो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों के दौरान साज -सज्जा के नाम पर फूलों से जगमग किये गए है। जिसमे पैंसों की बर्बादी साफ दिखाई पड़ती है।
यह तस्वीर चरैवेति! चरैवेति के संस्कृत संस्करण के विमोचन के दौरान का है जिसमे उत्तर प्रदेश के राजयपाल श्री रामनाईक द्वारा राष्ट्र्रपति श्री रामनाथ कोविंद को पुस्तक भेंट किया जा रहा है ,इस तस्वीर में सब कुछ के पहले सबसे ज्यादा फूलों चमक -दमक ही दिखाई दे रही है।
यंहा सरकार और उसकी मशीनरी द्वारा फूल लगाने और सजाने की कोई आलोचना नहीं है ,इस खबर का उद्देश्य यह है कि अभी ग्रामीण क्षेत्र में लाखों -करोड़ों की संख्या में लोग हैं जो गरीबी ,बेबशी ,लाचारी में जीवन यापन कर रहे हैं। अगर सरकार देश की मतदाता के हित में काम कर रही है तो उसे चकाचौंध भरी जिंदगी से बाहर निकल कर अंतिम पंक्ति में जीवन यपान कर रहे लोगों की आजीविका में वृद्धि के लिये यह धन खर्च करना चाहिए।
फूलों से मकान ,दुकान सजाना कोई गुनाह नहीं है ,परन्तु जब देश की बहुसंख्यक आबादी 20 रूपये से कम पर जीवन यपान करने के लिए मजबूर है तब मंहगे -मंहगे फूलों से सरकारी पैंसों से मंच और राजनीतिक दफ्तर को सजाना जनता को ''फूल ''बनाने से कम नहीं है। जिसमे लाखों रूपये की रकम बेवजह बर्बाद कर दी जाती है।
वैसे तो केंद्र और प्रदेश सरकार ''फूल ''से ही बनी है, जब पूरी सरकार ''फूल ''पर ही टिकी है तो सरकार फूलों की उपेक्षा कैसे कर सकती है। लेकिन आपको यह मालूम होना चाहिए कि भारत में ताजा फूलों की कीमत भी काफी अधिक होती है। आपको हम कुछ तस्वीर दिखा रहें हैं जो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों के दौरान साज -सज्जा के नाम पर फूलों से जगमग किये गए है। जिसमे पैंसों की बर्बादी साफ दिखाई पड़ती है।
यह तस्वीर चरैवेति! चरैवेति के संस्कृत संस्करण के विमोचन के दौरान का है जिसमे उत्तर प्रदेश के राजयपाल श्री रामनाईक द्वारा राष्ट्र्रपति श्री रामनाथ कोविंद को पुस्तक भेंट किया जा रहा है ,इस तस्वीर में सब कुछ के पहले सबसे ज्यादा फूलों चमक -दमक ही दिखाई दे रही है।
टीबी रोड प्लान के दौरान हुए कार्यक्रम का एक तस्वीर जिसमे फूल ही फूल।
यंहा सरकार और उसकी मशीनरी द्वारा फूल लगाने और सजाने की कोई आलोचना नहीं है ,इस खबर का उद्देश्य यह है कि अभी ग्रामीण क्षेत्र में लाखों -करोड़ों की संख्या में लोग हैं जो गरीबी ,बेबशी ,लाचारी में जीवन यापन कर रहे हैं। अगर सरकार देश की मतदाता के हित में काम कर रही है तो उसे चकाचौंध भरी जिंदगी से बाहर निकल कर अंतिम पंक्ति में जीवन यपान कर रहे लोगों की आजीविका में वृद्धि के लिये यह धन खर्च करना चाहिए।
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