राजित राम यादव तहकीकात न्यूज बस्ती
बस्ती । कूड़े के ढेर पर बसी हुई जिंदगी भूखा पेट मांगता है खाना , लॉक डाउन में जो खिलाया वहीं उसका भगवान है।
कबाड़ और कुंडा प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा करके जब बेचते थे तब चलती थी इनकी जीविका किंतु लॉक डाउन और ऊपर से कोरोनावायरस की महामारी इंसान की जिंदगी पर पड़ रहा है भारी ।
ऐसा ही नजारा कुछ देखने को मिला बस्ती के स्टेशन रोड पर जहां रोड के फुटपाथ पर प्लास्टिक पन्नी तानकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं लोग । दरअसल हमारी टीम पहुंची थी रियलिटी चेक करने टीम को देखकर नन्हे मुन्ने बच्चे दौड़कर आए कहने लगे अंकल क्या लाए हैं खाने के लिए।
जब टीम द्वारा एक महिला से पूछागया क्या राशन मिला था, प्रशासन के तरफ से राशन कार्ड है या नहीं ।
महिला ने बताया राशन कार्ड नहीं है जिला प्रशासन के तरफ से 15 दिन पहले राशन मिला था जो 4 दिन पहले ही खत्म हो चुका है। कोई आता है एक डब्बा खाना देकर जाता है जिसमें हम मियां बीवी और 5 बच्चों को भी खिलाते हैं ।
इन भूखे लोगों को देख स्थानीय प्रशासन के कुशल नेतृत्व पर प्रश्न खड़ा कर रहा है। मुख्यमंत्री राहत कोष मे जो लोग पैसा दान किए हैं वह पैसा किस दिन काम आएगा और किसके लिए काम आएगा यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
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